विवाह या हिंदू विवाह का पवित्र समारोह, अनुष्ठानों से भरा एक जटिल मामला है जो प्रतीकात्मक और आध्यात्मिक दोनों है। इस उत्सव का एक महत्वपूर्ण पहलू विवाह पूजन सामग्री की तैयारी है, जो विवाह अनुष्ठानों को पूरा करने के लिए आवश्यक वस्तुओं का संग्रह है।
प्रत्येक वस्तु का एक विशिष्ट महत्व होता है और समारोह के दौरान विशेष समय पर इसका उपयोग किया जाता है। यह लेख पारंपरिक हिंदू विवाह समारोह के लिए आवश्यक सामग्रियों की एक विस्तृत सूची प्रदान करता है।
विवाह पूजन सामग्री सूची
सामग्री | : ... |
0 | 10 ग्राम |
पीला सिंदूर | 20 ग्राम |
पीला अष्टगंध चंदन | 10 ग्राम |
लाल सिंदूर | 20 ग्राम |
हल्दी | 50 ग्राम |
हल्दी | 100 ग्राम |
सुपाड़ी (सुपाड़ी) | 100 ग्राम |
लँगो | 10 ग्राम |
वलायची | 10 ग्राम |
सर्वौषधि | 1 डिब्बी |
सप्तमृतिका | 1 डिब्बी |
माधुरी | 50 ग्राम |
नवग्रह चावल | 1 पैकेट |
जनेऊ | 5 पीस |
टमाटर | 1 शीशी |
गारी का गोला (सूखा) | 3 पीस |
जटादार सूखा नारियल | 1 पीस |
अक्षत (चावल) | 1 किलो |
दानबत्ती | 1 पैकेट |
रुई की बट्टी (गोल / लंबा) | 1-1 पैकेट |
देशी घी | 500 ग्राम |
सरसों का तेल | 500 ग्राम |
कपूर | 20 ग्राम |
कलावा | 5 पीस |
चुनरी (लाल /पपी) | 1/1 पीस |
कहना | 500 ग्राम |
लाल रंग | 5 ग्राम |
पीला रंग | 5 ग्राम |
काला रंग | 5 ग्राम |
नारंगी रंग | 5 ग्राम |
हरा रंग | 5 ग्राम |
बैंगनी रंग | 5 ग्राम |
लाल वस्त्र | 1 मीटर |
पीला वस्त्र | 1 मीटर |
सफेद वस्त्र | 1 मीटर |
गंगा जल | 1 शीशी |
अबीर गुलाल (लाल, पीला, हरा, गुलाबी) अलग-अलग | 10-10 ग्राम |
बुक्का (अभ्रक) | 10 ग्राम |
छोटा-बड़ा | 1-1 पीस |
माचिस | 1 पीस |
आम की लकड़ी | 2 किलो |
नवग्रह समिधा | 1 पैकेट |
हवन सामग्री | 500 ग्राम |
तामिल | 100 ग्राम |
जौ (कलश गोठने हेतु) | 100 ग्राम |
गुड | 500 ग्राम |
कमलगट्टा | 100 ग्राम |
:(क) | 100 ग्राम |
पंचमेवा | 200 ग्राम |
पंचरत्न व पंचधातु | 1 डिब्बी |
धोती (पीली/लाल) | 1 पीस |
अगोँछा (पीला/लाल) | 1 पीस |
पूजाहोम से सम्पूर्ण पूजा सामग्री ऑर्डर करें
घर से सामग्री
सामग्री | : ... |
मिष्ठान | 500 ग्राम |
पान के पत्ते | 21 पीस |
मीठे पान (लगे हुए) द्वारचार पूजा हेतु | 2 पीस |
केले के पत्ते | 5 पीस |
आम के पत्ते | 2 द |
ऋतु फल | 5 प्रकार के |
दूब घास (तेल चढ़ाने हेतु) | 100 ग्राम |
फूल, हार (गुलाब) की | 4 माला |
फूल, हार (गेंदे) की | 4 माला |
गुलाब/गेंदा का खुला हुआ फूल | 1 किलो |
तुलसी की पत्ती | 5 पीस |
दूध | 1 ट |
: | 1 किलो |
ओ | 100 ग्राम |
: ... | 500 ग्राम |
अखण्ड दीपक | 1 पीस |
पृष्ठ/पीतल का कलश (ढक्कन रेंज) | 1 पीस |
थाली | 4 पीस |
लोटे | 2 पीस |
कटोरी | 4 पीस |
: ... | 2 पीस |
परात | 2 पीस |
मिट्टी के चूल्हे (देव-पितृ सौभाग्य हेतु) | 2 पीस |
उड़द की दाल भीगी (सिल धोने हेतु) | 500 ग्राम |
कैंची / चाकू (लड़ी काटने हेतु) | 1 पीस |
जल (पूजन हेतु) | |
गाय का गोबर (गौर बनाने हेतु) | |
मिट्टी/बालू (खम्भ गाड़ने हेतु) | |
ऐड का आसन | |
वर पक्ष विवाह पूजन सामग्री | |
खम्भ (सजा हुआ) | 1 पीस |
पीपा/कन्स्ट्र (सजा हुआ) खम्भा डालने हेतु | 1 पीस |
दीवाली | 1 पीस |
माई (कुशा बंडल) | 1 पीस |
(सुहाग पुड़िया) सीताराम या गौरी-शंकर प्रतिमा | 1 पीस |
शुभ विवाह | 2 पीस |
कोबर (लड़के का थापा) | 1 पीस |
चौकी या पाटा सजा हुआ (वर के बैठने हेतु) | 1 पीस |
सुप (सजा हुआ) | 1 पीस |
सिल-बट्टा | 1 पीस |
मूसल (सजा हुआ) | 1 पीस |
मथानी (सजी हुई) | 1 पीस |
कंकन (वर के हाथ में जलाने हेतु) | 1 पीस |
कौड़ी | 5 पीस |
लोहे के छल्ले | 7 पीस |
मोर | 1 पीस |
बाँस की छड़ी | 1 पीस |
पीला या गुलाबी दुपट्टा (गठबंधन हेतु) | 1 पीस |
कन्या पक्ष हेतु डाल वाला सामान | |
गौरी-गणेश (आटे से निर्मित) | 1 पीस |
दाल | 1 पीस |
मौरी (वधु हेतु) | 1 पीस |
ताग-पाट (चाँदी, स्वर्ण या साधारण) | 1 पीस |
सिन्दौरा (माँग भरे हेतु) | 1 पीस |
सिन्दौरी (पूजन हेतु) | 1 पीस |
सिंदूर (पीला या लाल) | 50 ग्राम |
धान का लावा | 500 ग्राम |
कोछा हेतु पंचमेवा- (मखाने, काजू, बादाम, सूखा नारियल, छुहारा) | |
सुहाग सामग्री – साड़ी, बिंदी, सिंदूर, चूड़ी, आलता, नाक की कील, पायल, इत्यादि। | |
वर पक्ष द्वारा की जाने वाली आवश्यक रस्में | |
जेठ द्वारा डाली जाने वाली चुनी | |
जेठ द्वारा डाला जाने वाला कोछा | |
ससुर द्वारा डाला जाने वाला कोछा | |
लावा परछन रस्म हेतु कन्या के भाई के लिए वस्त्र | |
बिछिया दबवाई रस्म हेतु कन्या की भाभी के लिए वस्त्र | |
कन्या पक्ष विवाह पूजन सामग्री | |
खम्भ (सजा हुआ) | 1 पीस |
पीपा/कन्स्ट्र (सजा हुआ) खम्भा डालने हेतु | 1 पीस |
दीवाली | 1 पीस |
माई (कुशा बंडल) | 1 पीस |
(सुहाग पुड़िया) सीताराम या गौरी-शंकर प्रतिमा | 1 पीस |
शुभ विवाह | 2 पीस |
कोबर (लड़की का थापा) | 1 पीस |
वर-वधु के बैठने हेतु | 2 पीस |
सुप (सजा हुआ) | 1 पीस |
सिल-बट्टा | 1 पीस |
मूसल (सजा हुआ) | 1 पीस |
मथानी (सजी हुई) | 1 पीस |
कन्या के हाथ में छूने हेतु | 1 पीस |
कौड़ी | 5 पीस |
लोहे के छल्ले | 7 पीस |
अन्तः पट हेतु नया कपड़ा (पीला/लाल या गुलाबी) | 1 पीस |
सिन्दौरा (माँग भरे हेतु) | 1 पीस |
सिन्दौरी (पूजन हेतु) | 1 पीस |
सिंदूर (पीला या लाल) | 50 ग्राम |
आलता (कन्या के पैरों में डालने हेतु) | 1 शीशी |
धान का लावा | 500 ग्राम |
लग्नपत्रिका (तिलक हेतु) | 1 पीस |
द्वारचार पूजन हेतु | |
स्टील की टंकी | 2 पीस |
कलसी (पीतल की) | 2 पीस |
दीपक | 2 पीस |
पीतल की आरती हेतु | 1 पीस |
कन्यादान हेतु सामग्री | |
पीतल की | 1 पीस |
करवा या पीतल का | 1 पीस |
एट की लोई | 1 पीस |
धोती (पीली/लाल) वर हेतु | 1 पीस |
पचहान के बर्तन (कन्या को देने हेतु) | |
कुंरी | 1 पीस |
अंगोछा | 1 पीस |
पूजा में रखने हेतु सिंदुरा | 1 पीस |
ब्राह्मणों के लिए वर्ण सामग्री | |
धोती | |
कुर्ता | |
अंगोछा | |
पंच पात्र | |
माला | |
मिट्टी का कलश (बड़ा) | 1 पीस |
मिट्टी का कलश (छोटा) देव-पितृ हेतु | 4 पीस |
टोटी वाला देव-पितृ कृपा हेतु | 1 पीस |
मिट्टी का प्याला/दियाली | 8-8 पीस |
हवन कुण्ड | 1 पीस |
पूजा विधि (प्रक्रिया)
विवाह पूजन एक विस्तृत अनुष्ठान है जिसे सटीकता और भक्ति के साथ किया जाना चाहिए। यहाँ पूजा विधि के लिए चरण-दर-चरण मार्गदर्शिका दी गई है:
वेदी (मंडप) की तैयारी:
- जिस स्थान पर पूजा की जाएगी उसे साफ़ करें।
- कपड़े से एक मंडप या वेदी स्थापित करें और उस पर देवताओं की मूर्तियां या चित्र रखें।
भगवान गणेश का आह्वान:
- बाधाओं को दूर करने के लिए गणेश पूजा से शुरुआत करें।
- भगवान गणेश को फूल, धूप और मोदक (मिठाई) चढ़ाएं।
कलश स्थापना:
- एक कलश में जल भरें, उसके मुंह पर आम के पत्ते रखें और उसके ऊपर एक नारियल रखें।
- कलश को वेदी पर रखें क्योंकि यह विभिन्न देवताओं की उपस्थिति का प्रतिनिधित्व करता है।
नवग्रह पूजा:
- नौ ग्रह देवताओं की पूजा करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
- अपने-अपने मंत्रों का जाप करते हुए चावल, फूल और जल अर्पित करें।
कन्यादान (दुल्हन को विदा करना):
- दुल्हन का पिता मंत्रोच्चार करते हुए उसका हाथ दूल्हे को सौंपता है।
- यह समारोह का एक महत्वपूर्ण एवं भावनात्मक हिस्सा है जो जिम्मेदारी के हस्तांतरण का प्रतीक है।
मंगल फेरे (पवित्र फेरे):
- दम्पति पवित्र अग्नि (अग्नि) के चारों ओर सात फेरे लेते हैं, प्रत्येक फेरा अलग-अलग प्रतिज्ञाओं का प्रतीक है।
- अग्नि को ली गई प्रतिज्ञाओं का साक्षी माना जाता है।
सिंदूर और मंगलसूत्र:
- दूल्हा दुल्हन के माथे पर सिंदूर लगाता है और उसके गले में मंगलसूत्र बांधता है।
- ये वैवाहिक स्थिति और सुरक्षा के प्रतीक हैं।
आरती और आशीर्वाद:
- पूजा का समापन आरती के साथ करें तथा उपस्थित सभी लोगों से आशीर्वाद लें।
- सभी प्रतिभागियों को प्रसाद वितरित करें।
निष्कर्ष
निष्कर्ष रूप में, विवाह पूजन की तैयारी में सावधानीपूर्वक योजना बनाना और विभिन्न वस्तुओं को इकट्ठा करना शामिल है, जिनका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। इस लेख में दी गई सामग्री सूची यह सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक मार्गदर्शिका के रूप में कार्य करती है कि समारोह को अत्यंत पवित्रता और भक्ति के साथ करने के लिए सभी आवश्यक तत्व मौजूद हैं।
अनुष्ठानों की पवित्रता बनाए रखने के लिए इन वस्तुओं को प्रतिष्ठित विक्रेताओं से खरीदना आवश्यक है। याद रखें कि विवाह पूजन का सार दो आत्माओं के मिलन में निहित है, और इस पवित्र बंधन का सम्मान करने और जश्न मनाने में सामग्री महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
इन पवित्र प्रसादों के माध्यम से प्राप्त दिव्य उपस्थिति से आपका विवाह समारोह धन्य और समृद्ध हो।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों
विवाह पूजन में मंगल कलश का क्या महत्व है?
मंगल कलश समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक है। इसे अक्सर पानी से भरा जाता है और ऊपर नारियल और आम के पत्ते रखे जाते हैं, जो समारोह के दौरान देवता की उपस्थिति का प्रतिनिधित्व करते हैं।
शादी समारोहों में हल्दी का उपयोग क्यों किया जाता है?
हिंदू परंपराओं में हल्दी को शुभ और पवित्र माना जाता है। शादी से पहले हल्दी समारोह में जोड़े को आशीर्वाद देने और उन्हें बुरी शक्तियों से बचाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है।
विवाह पूजन में कुमकुम का उपयोग कैसे किया जाता है?
हल्दी और चूने से बना कुमकुम सौभाग्य का प्रतीक है और शादी की रस्मों के दौरान दूल्हा और दुल्हन के माथे पर लगाया जाता है।
हिंदू विवाह में अक्षत (चावल) क्या दर्शाता है?
अक्षत या पवित्र चावल का उपयोग जोड़े को आशीर्वाद देने के लिए किया जाता है। इसे उपस्थित लोग समृद्धि और प्रजनन क्षमता के आशीर्वाद के रूप में दूल्हा और दुल्हन पर फेंकते हैं।
क्या विवाह पूजन में पान और सुपारी जरूरी है?
जी हां, पान के पत्ते और मेवे ताजगी और दीर्घायु के प्रतीक माने जाते हैं। इन्हें पूजा-पाठ के दौरान आशीर्वाद पाने और देवताओं और बड़ों के प्रति सम्मान दर्शाने के लिए चढ़ाया जाता है।
पंचामृत क्या है और शादियों में इसका उपयोग कैसे किया जाता है?
पंचामृत पांच सामग्रियों का मिश्रण है: दूध, दही, घी, शहद और चीनी। इसका उपयोग हिंदू अनुष्ठानों में शुद्धिकरण के लिए किया जाता है और पूजा के दौरान देवताओं को चढ़ाया जाता है।