सोमवती अमावस्या एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है जिसे भक्तों द्वारा बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने परिवार की सुख-समृद्धि और लंबी उम्र की कामना करती हैं।
सोमवती अमावस्या का व्रत हर उस अमावस्या को रखा जाता है जो सोमवार के दिन होता है। इस व्रत की मान्यता यह है कि इससे परिवार में ख़ुशी और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
इस व्रत में कई महत्व और कथाओं का उल्लेख है। इस ब्लॉग में हम सोमवती अमावस्या व्रत कथा के साथ-साथ इसके महत्व और पूजन विधि के बारे में विस्तार से जानेंगे।
सोमवती अमावस्या के दिन स्नान, दान और व्रत का विशेष महत्व होता है। इस दिन गंगा स्नान करने का विशेष महत्व है और माना जाता है कि इससे समस्त पापों का नाश होता है।
व्रत रखने वाली महिलाएं इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करती हैं और उसमें कच्चा सूत लपेटकर रखती हैं। इसके साथ ही भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है।
इस व्रत कथा में एक गरीब ब्राह्मण परिवार की कहानी है, जिसमें एक वृद्ध महिला अपनी पुत्रवधु के साथ रहती थी। इस कथा के माध्यम से बताया गया है कि कैसे एक ऋषि ने व्रत रखकर अपनी सभी समस्याओं का समाधान किया।
सोमवती अमावस्या व्रत कथा
सोमवती अमावस्या व्रत कथा के अनुसार, एक गरीब ब्राह्मण परिवार था, उस परिवार में पति-पत्नी एवं उसकी एक पुत्री भी थी। उनकी पुत्री समय के साथ-साथ धीरे-धीरे बड़ी होने लगी। उस पुत्री में बढ़ती उम्र के साथ सभी स्त्रियोचित गुणों का विकास हो रहा था। वह कन्या सुन्दर, संस्कारवान एवं गुणवान थी , परन्तु दरिद्र होने के कारण उसका विवाह नहीं हो पा रहा था।
एक दिन उस ब्राह्मण के घर एक साधु महाराज पधारें। साधु उस कन्या के सेवाभाव से अत्यधिक प्रसन्न हुए। कन्या को लंबी आयु का आशीर्वाद देते हुए साधुओं ने कहा कि इस कन्या के हाथ में विवाह उचित रेखा नहीं है।
तब ब्राह्मण दम्पति ने साधुओं से यह उपाय पूछा, कन्या ऐसा क्या करें कि उसके हाथ में विवाह योग बनजाए। साधु महाराज ने कुछ देर विचार करने के पश्चात अपनी दृष्टि में ध्यान करके बताया कि कुछ ही दूरी पर एक गांव में सोने के नाम की एक धोबिन स्त्री अपने बेटे और बहू के साथ रहती है, जो बहुत ही आचार-विचार एवं संस्कार मनाएगी तथा पति परायण होगी।
यदि यह सुकन्या उस धोबिन की सेवा करे और वह महिला इसकी शादी में अपनी मांग का सिंदूर लगा दे, तथा उसके बाद इस कन्या का विवाह हो जाए, तो इस कन्या का वैधव्य योग मिल सकता है। साधु ने यह भी बताया कि वह स्त्री कहीं बाहर अति-जाति नहीं है।
यह बात सुनकर ब्राह्मणी ने अपनी बेटी से धोबिन की सेवा करने का प्रस्ताव रखा। अगले दिन से ही कन्या प्रात: काल ही उठकर सोना धोबिन के घर जाकर, साफ-सफाई एवं अन्य सारे कार्य करके अपना घर वापस आने लगी।
एक दिन सोना धोबिन अपनी बहू से पूछती है कि, तुम तो सुबह ही उठकर सारे काम कर लेते हो और पता भी नहीं चलता।
बहू ने कहा: माँ जी, मैंने तो सोचा कि आप ही सुबह उठकर सारे काम खुद ही खत्म कर लेते हैं। मैं तो देर से उठती हूँ। यह सब जानकर दोनों सास-बहू घर की निगरानी करने लगी कि कौन है जो सुबह ही घर का सारा काम करके चला जाता है।
कई दिनों के बाद धोबिन ने देखा कि एक लड़की का मुंह अंधेरे में घर में आता है और सारे काम करने के बाद चली जाती है। जब वह जाने लगी तो सोना धोबिन उसके पैरों पर गिर पड़ी, अंतर्निहित लगी कि आप कौन है और इस तरह छुपकर मेरे घर की चाकरी क्यों करती हैं?
तब कन्या ने साधुओं को दबा कर सारी बात बताई। सोना धोबिन पति परायण थी, इसलिए में तेज था। वह तैयार हो गई, सोना धोबिन के पति थोड़े अस्वस्थ थे। उसने कहा कि अपनी बहू से अपने लौट आने तक घर पर ही रहने को कहा।
सोना धोबिन ने जैसे ही अपनी मांग का सिंदूर उस कन्या की मांग में लगाया, सोना धोबिन का पति मर गया। उसे इस बात का पता चल गया। वह घर से निराजल ही चली थी, इस विकृत रास्ते में जहां कहीं पीपल का पेड़ मिलता तो उसे भंवरी देती और उसके चारों ओर घूमकर ही जल ग्रहण करती।
वह दिन सोमवती अमावस्या थी। ब्राह्मण के घर मिले पूए-पकवान की जगह उसने 108 बार पीपल के पेड़ की माला बनाकर उसे जलाया। ऐसा करते ही उसके पति के मृत शरीर में वापस जान आ गई। धोबिन का पति फिर से जीवित हो उठ।
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सोमवती अमावस्या व्रत का धार्मिक एवं सामाजिक महत्व असीम है। यह व्रत न केवल आध्यात्मिक शुद्धि प्रदान करता है बल्कि परिवार के सदस्यों की लंबी आयु और खुशहाली की कामना के लिए भी रखा जाता है।
इस व्रत कथा से हमें यह सीख मिलती है कि आस्था और श्रद्धा से किए गए व्रत और पूजा सदैव फलदायी होते हैं। समाज में शांति, समृद्धि और सौहार्द को बनाए रखने में ऐसे व्रतों का महत्वपूर्ण योगदान है।
आशा है कि इस ब्लॉग के माध्यम से आपको सोमवती अमावस्या व्रत के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त हुई होगी और आप अपने जीवन में इसका लाभ उठा पाएंगे।