श्री विंध्येश्वरी आरती एक प्रमुख हिंदू धार्मिक परंपरा है, जो विंध्य पर्वत के पास स्थित विंध्येश्वरी मंदिर में प्रतिदिन शाम के समय की जाती है।
यह आरती भगवान विंध्येश्वरी की पूजा और उनकी महिमा का गुणगान करने के लिए समर्पित है। इस आरती का पाठ भक्तों को ध्यान की स्थिति में लाता है, उनके मन में शांति, संतोष और एकाग्रता पैदा करता है।
यह आरती विंध्य क्षेत्र में महत्व रखती है और स्थानीय निवासियों द्वारा नियमित रूप से की जाती है।
श्री विंध्येश्वरी आरती हिंदी में
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
पान सुपारी ध्वजा नारियल ।
ले तेरी चढ़ायो माँ ॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
सुवा चोली तेरी अंग विराजे ।
केसर तिलक लगाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
नंगे पग माँ अकबर आया ।
सोने का छत्र चढ़ाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
ऊंचे पहाड़ बनायो देवलाया ।
निचे शहर बसाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
सत्युग, द्वापर, त्रेता मध्ये ।
कलियुग राज स्वया ॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
धूप दीप नैवैध्य आरती ।
मोहन भोग लगाय ॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
ध्यानु भगत मैया तेरे गुण गावै ।
मनवंचित फल पाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
श्री विंध्येश्वरी आरती अंग्रेजी में
सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी ।
कोई तेरा पार ना पाया ॥
पान सुपारी ध्वजा नारियल ।
ले तेरी भेंट चराया ॥
॥ सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी...॥
सुवा चोली तेरी अंग विराजे ।
केसर तिलक लगाया॥
॥ सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी...॥
नंगे पग माँ अकबर आया ।
सोने का छत्र चराया ॥
॥ सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी...॥
ऊँचे पर्वत बन्यो देवालय ।
निचे शहर बसाया ॥
॥ सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी...॥
सतयुग, द्वापर, त्रेता मध्ये ।
कलियुग राज सवाया॥
॥ सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी...॥
धूप दीप नैवैध्य आरती ।
मोहन भोग लगाया॥
॥ सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी...॥
ध्यानु भगत मैया तेरे गुण गया ।
मनवंचित फल पाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी ।
कोई तेरा पार ना पाया ॥
निष्कर्ष:
श्री विंध्येश्वरी आरती एक अनोखा धार्मिक अनुष्ठान है जो भक्तों को ईश्वर की महत्ता और शक्ति को समझने में सहायता करता है।
इसके पाठ के माध्यम से भक्त अपने मन के साथ संवाद करते हैं और आत्मा के साथ जुड़ने का आनंद अनुभव करते हैं।
विंध्येश्वरी आरती का जाप आपसी सम्मान और आत्मीयता की भावनाएँ जगाता है, भक्तों को आंतरिक शक्ति प्रदान करता है। यह भक्तों को आध्यात्मिक और मानसिक संतुलन की ओर ले जाता है और उन्हें जीवन के सभी पहलुओं में सफलता प्राप्त करने में सहायता करता है।