श्री हनुमत् पञ्चरत्नम् (श्रीहनुमत् पञ्चरत्नम्) हिन्दी और अंग्रेजी में

श्री हनुमत् पंचरत्नम् भगवान हनुमान को समर्पित एक पूजनीय स्तोत्र है, जो भक्ति, शक्ति और निष्ठा के प्रतीक हैं।

महान ऋषि आदि शंकराचार्य द्वारा रचित यह मंत्र पांच छंदों (पंचरत्न) से युक्त एक सुंदर आह्वान है जो भगवान हनुमान के गुणों और सद्गुणों की प्रशंसा करता है।

इस ब्लॉग में हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में श्री हनुमंत पंचरत्नम के जाप के महत्व, अर्थ और लाभों पर चर्चा की जाएगी।

श्रीहनुमत् पञ्चरत्नम् मंत्र हिंदी में

वीताखिल-विषयेच्छं जातान्नन्दाश्र पुलकमत्यच्छम् ।
सीतापति दश्लाद्यं वातात्मजमद्य भवये हृद्यम् ॥१॥

तरुणारुण मुख-कमलं करुणा-रसपूर-पूरितापाङ्गम ।
सञ्जीवनमाशासे मञ्जुल-महिमानमञ्जना-भाग्यम् ॥२॥

शम्बरवैरि-शरतिगम्बुजदल-विपुल-लोचनोदरम् ।
कम्बुगलमनिलदिष्टम् बिम्ब-ज्वलितोष्ठमेकमवलम्बे ॥३॥

दूरीकृत-सीतार्तिः प्रकटित-रामवैभव-सुफूर्तिः ।
दारित-दशमुख-कीर्तिः पुरतो मम भातु हनुमतो प्रतिमाः ॥४॥

वानर-निकराध्यक्षं दानवकुल-कुमुद-रविकर-सदृशम् ।
दीन-जनवान-दीक्षां पवन तपः पाकपुञ्जमद्राक्षम् ॥५॥

एतत्-एतत्पवन-सुतस्य स्तोत्रं
यः पथति पञ्चरत्नाख्यम् ।
चिरमिह-निखिलान् भोगान भुङ्क्त्वा
श्रीरामभक्तिभाग्भवति ॥६॥

इति श्रीमच्छंकर-भगवतः
कृतौ हनुमत्-पञ्चरत्नं सम्पूर्णम् ॥
- आदि गुरु शंकराचार्य

श्री हनुमत् पंचरत्नम् अंग्रेजी में

वीतखिलविषयेच्छं जातनान्दाश्र पुलकामात्यच्छं ।
सीतापति दूताद्यां वातत्मजामादि भवाये हृदयम् ॥ १॥

तरुणारुण मुख-कमलं करुणा-रसपुर-पूरितपंगम् ।
संजीवनमाशासे मंजुलमहिमामंजनाभाग्यम् ॥२॥

शम्बरवैरी-शरतिगमम्बुजादल-विपुल-लोचनोदरम् ।
कम्बुगलमनिलादिष्टं बिम्बज्वलितोष्टमेकामवलम्बे ॥ ३॥

दुरिकृत्-सितारतिः प्रकाटिकृत्-रमवैभव-स्फूर्तिः ।
दारितदशमुखकीर्तिः पुरतो मम भतु हनुमंतो मूर्तः ॥४॥

वानर-निकाराध्यक्षं दानवकुल-कुमुद-रविकार-सदृशं ।
दीन-जनवान-दीक्षां पावं तपः पाकपुंजमद्रक्षम् ॥ ५॥

इतत् इतत् पावना सुतस्य स्तोत्रम्
यः पठति पंचरत्नाख्यम् ।
चिर्मिः निखिलं भोगान भुक्त्वा
श्री रामभक्तिभगभवति ॥ ६॥

इति श्रीमच्छंकर-भागवत
कृतो हनुमन्तपंचरत्नं सम्पूर्णम् ॥
- श्री आदि शंकराचार्य

निष्कर्ष

श्री हनुमत पंचरत्नम केवल एक भजन नहीं है; यह एक शक्तिशाली आह्वान है जो भक्तों को भगवान हनुमान की दिव्य ऊर्जा से जोड़ता है। आदि शंकराचार्य द्वारा रचित अपने काव्यात्मक छंदों के माध्यम से, यह मंत्र भगवान हनुमान की शक्ति, बुद्धि और अटूट भक्ति के गुणों को दर्शाता है।

इस मंत्र का ईमानदारी और भक्ति के साथ जाप करने से बहुत अधिक आध्यात्मिक लाभ मिल सकता है। यह बाधाओं को दूर करने, कठिन समय में शक्ति प्रदान करने और शांति और लचीलेपन की भावना को प्रेरित करने में मदद कर सकता है। चाहे मूल संस्कृत में पढ़ा जाए या हिंदी और अंग्रेजी में अनुवादित किया जाए, मंत्र का सार शक्तिशाली और परिवर्तनकारी बना रहता है।

श्री हनुमंत पंचरत्नम को अपने दैनिक अभ्यास में शामिल करके, भक्त भगवान हनुमान के साथ एक गहरा संबंध बना सकते हैं, और अपने जीवन को समृद्ध बनाने के लिए उनके दिव्य गुणों का लाभ उठा सकते हैं। ज़रूरत के समय, उनका आशीर्वाद आराम और मार्गदर्शन प्रदान करता है, जो इस शाश्वत सत्य को पुष्ट करता है कि सच्ची भक्ति और शक्ति हमारे भीतर ही निहित है, जो ईश्वर से प्रेरित है।

जो लोग अपनी आध्यात्मिक यात्रा को और गहरा करना चाहते हैं, उनके लिए श्री हनुमंत पंचरत्नम का जाप भगवान हनुमान का सम्मान करने और उनके आशीर्वाद को अपने जीवन में आमंत्रित करने का एक गहन तरीका है। इन पवित्र श्लोकों की शक्ति को अपने मार्ग को रोशन करने दें और हनुमान की स्थायी शक्ति और ज्ञान के साथ अपनी आत्मा को मजबूत करें।

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