ज्ञान, बुद्धि, कला और शिक्षा की देवी माँ सरस्वती को दुनिया भर में लाखों लोग पूजते हैं। उनकी दिव्य उपस्थिति सत्य, ज्ञान और रचनात्मकता की खोज का प्रतीक है।
वीणा, उनका चुना हुआ वाद्य, ब्रह्मांड की सद्भावना और लय का प्रतिनिधित्व करता है, जो सृष्टि की धुनों के साथ प्रतिध्वनित होता है।
जब हम पवित्र आरती के माध्यम से प्रार्थना करते हैं, तो हम उनसे अपने मन को प्रकाशित करने तथा ज्ञान और समझ के मार्ग पर हमारा मार्गदर्शन करने का आशीर्वाद मांगते हैं।
आरती सरस्वती जी: ओइम् जय वीणे वाली हिंदी में
ओइम् जय वीणे वाली,
मैया जय वीणे वाली
ऋद्धि-सिद्धि की निवास,
हाथ तेरे ताली
ऋषि मुनियों की बुद्धि को,
शुद्ध तू ही करती
स्वर्ण की भांति शुद्ध,
तू ही माँ करती॥ १॥
ज्ञान पिता को देती है,
गगन शब्द से तू
विश्व को उत्पन्न करती,
आदि शक्ति से तू॥ २॥
हंस-वाहिनी दीज,
भिक्षा दर्शन की
मेरे मन में ही,
इच्छा तेरे दर्शन की॥ ३॥
ज्योति जगा कर नित्य,
यह आरती जो गावे
भवसागर के दुख में,
गोता न कभी खावे॥४॥
माँ सरस्वती आरती:ओम जय वीने वाली अंग्रेजी में
ओम जय वीने वाली, मैया जय वीने वाली।
ॠद्धि सिद्धि की रहती, हाथ तेरे ताली॥
ऋषि नूनियो की बुधि को, शुद्ध तू ही करती।
स्वर्ण की भाति, शुद्ध तू ही करती॥ १॥
ज्ञान पिता को देती, गगन शब्द से तू।
विश्व को उत्पन्न करती, आधी शक्ति से तू॥ २॥
हंस-वाहिनी दीजे, भिक्षा दर्शन की।
मेरे मन में केवल, इच्छा दर्शन की॥ ३॥
ज्योति जगाकर नित्य, यह आरती जो गावे।
भवसागर के दुख में, गोता न कभी खावे॥ ४॥
निष्कर्ष:
आरती के समापन पर हम दिव्य ज्ञान और बुद्धि की अवतार माँ सरस्वती को श्रद्धापूर्वक नमन करते हैं।
उनकी कृपा से हमें समझ का प्रकाश, सृजनात्मकता का माधुर्य और बुद्धि का सामंजस्य प्राप्त हो।
आइए हम उनकी कृपा से निर्देशित होकर धर्म के मार्ग पर चलें, और उनकी उपस्थिति हमें हमेशा सत्य की खोज करने, उत्कृष्टता का अनुसरण करने और दुनिया में प्रेम और ज्ञान फैलाने के लिए प्रेरित करती रहे। जय माँ सरस्वती!