माँ बगलामुखी पौराणिक कथा हिंदी में

प्रस्तावना: माँ बगलामुखी पौराणिक कथा

माँ बगलामुखी को हिंदू धर्म में देवी दुर्गा का एक रूप माना जाता है। एक शत्रु शक्ति की देवी कहती है, जो अपने भक्तों को शत्रुओं के भय से मुक्त करती है। माँ बगलामुखी की पूजा विशेष रूप से तांत्रिक अनुष्ठानों में की जाती है और यह माना जाता है कि उनकी कृपा से दुश्मनों का नाश होता है और न्याय की प्राप्ति होती है।

माँ बगलामुखी की कथा प्राचीन काल से ही भारतीय लोककथाओं और धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है। इस कथा में देवी की उत्पत्ति, उनके अवतार और उनकी महिमा का विस्तृत वर्णन मिलता है। यह पौराणिक कथा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि इसमें जीवन के विभिन्न तथ्यों पर भी गहरा संदेश छिपा हुआ है।

माँ बगलामुखी की उत्पत्ति की कथा बहुत ही रोचक और प्रेरणादायक है। कथा के अनुसार, जब संसार में अराजकता और अधर्म बढ़ गया, तब सभी देवता भगवान विष्णु के पास जाकर प्रार्थना करने लगे।

भगवान विष्णु ने तपस्या कर देवी बगलामुखी को प्रकट किया, जिन्होंने अपनी शक्ति से असुरों का नाश किया और धर्म की स्थापना की। यह कथा हमें यह सिखाती है कि सत्य और न्याय की सदैव विजय होती है, चाहे परिस्थिति कितनी भी विपरीत क्यों न हो।

माँ बगलामुखी पौराणिक कथा

एक बार सतयुग में महाविनाश उत्पन्न करने वाला ब्रह्मांडीय तूफान उत्पन्न हुआ, जिससे संपूर्ण विश्व नष्ट होने लगा और चारों ओर हाहाकार मच गया। संसार की रक्षा करना असंभव हो गया। यह तूफान सब कुछ नष्ट-भ्रष्ट करता हुआ आगे बढ़ता जा रहा था, जिसे देख कर भगवान विष्णु जी चिंतित हो गए।
इस समस्या का कोई हल न पा कर वह भगवान शिव को स्मरण करने लगे, तब भगवान शिव ने कहा: शक्ति रूप के अतिरिक्त कोई भी इस विनाश को रोक नहीं सकता: आप उनकी शरण में जाएं।

तब भगवान विष्णु ने हरिद्रा सरोवर के निकट पहुंच कर कठोर तप किया। भगवान विष्णु के तप से देवी शक्ति प्रकट हुई। इनके साठ से महात्रिपुरसुंदरी प्रसन्न हं। सौराष्ट्र क्षेत्र की हरिद्रा झील में जलक्रीड़ा करती हुई महापीताम्बरा स्वरूप देवी के हृदय से दिव्य तेज उत्पन्न हुई। इस तेज से ब्रह्मांडीय तूफान थम गया।

मंगलयुक्त चतुर्दशी की अर्धरात्रि में देवी शक्ति का देवी बगलामुखी के रूप में प्रादुर्भाव हुआ था। त्रैलोक्य स्तम्भिनी महाविद्या भगवती बगलामुखी ने प्रसन्न होकर भगवान विष्णु जी को चाहा और तब सृष्टि का विनाश रुक सका। देवी बगलामुखी को वीर रति यह भी कहा जाता है क्योंकि देवी स्वयं ब्रह्मास्त्र रूपिणी हैं। इनके शिव को महारुद्र कहा जाता है। इसीलिए देवी सिद्ध विद्या हैं। तांत्रिक देवताओं की देवी मानी जाती हैं। गृहस्थों के लिए देवी समस्त प्रकार के संशयों का शमन करने वाली हैं।

दसमहाविधाओ मे से आठवी महाविधा है देवी बगलामुखी । इनकी उपासना इनके भक्त शत्रु नाश, वाकसिद्ध और वाद विवाद में विजय के लिए करती है। इनमें सभी ब्राह्मणों की शक्तियां समाहित हैं, इनकी उपासना से भक्त के जीवन की हर बाधा दूर होती है और शत्रुओं का नाश करने के साथ-साथ बुरी शक्तियों का भी नाश होता है। देवी को बगलामुखी , पीताम्बरा , बगला , वल्गामुखी , वगलामुखी , ब्रह्मास्त्र विद्या आदि नाम से भी जाना जाता है।

निष्कर्ष:

माँ बगलामुखी की पौराणिक कथा हमें जीवन में संघर्षों से गुजरने और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। यह कथा हमें यह भी सिखाती है कि अधर्म और अन्याय के विरुद्ध संघर्ष करना हर व्यक्ति का कर्तव्य है।

माँ बगलामुखी की कृपा से उनके भक्त हर प्रकार के संकट से मुक्त होते हैं और जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं। उनकी पूजा और उपासना से मनुष्य को न केवल बाहरी शत्रुओं से, बल्कि आंतरिक शत्रुओं जैसे क्रोध, लोभ और मोह से भी मुक्ति मिलती है।

माँ बगलामुखी की महिमा अनंत है और उनकी कथा सदियों से भारतीय संस्कृति और धार्मिक परम्परा का विस्तृत हिस्सा रही है। यह कथा हमें यह भी सिखाती है कि जब भी जीवन में कठिनाइयाँ आती हैं, तो धैर्य और विश्वास के साथ माँ की उपासना करें और अपनी समस्याओं का समाधान प्राप्त करें।

माँ बगलामुखी की कथा सुनने और उनके गुणों का स्मरण करने से व्यक्ति का जीवन धन्य हो जाता है और वह आत्मिक शांति प्राप्त करता है।

इस प्रकार, माँ बगलामुखी की पौराणिक कथा हमें न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि जीवन की व्यावहारिक दृष्टि से मार्गदर्शन प्रदान करती है।

उनके आशीर्वाद से जीवन में हर प्रकार की बाधाओं का नाश होता है और सुख, शांति और समृद्धि का उत्सव होता है। माँ बगलामुखी की कथा सुनने और उनकी प्रति श्रद्धा रखने से हमारा जीवन सही दिशा में आगे बढ़ता है और हम हर स्थिति में विजय प्राप्त करते हैं।

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