हमारे समाज में व्रतों का महत्व बहुत अधिक है। इन व्रतों के माध्यम से हम आध्यात्मिक विकास का मार्ग प्राप्त करते हैं और भगवान की कृपा प्राप्त करते हैं।
बुध प्रदोष व्रत भी इन व्रतों में से एक है, जिसे भगवान शिव की पूजा और वंदना के लिए मनाया जाता है। इस व्रत की कथा हमें भगवान शिव के अनुशासन और उनके आशीर्वाद के महत्व को समझाती है।
बुध प्रदोष व्रत कथा
वार के अनुसार जो प्रदोष व्रत करते हैं, उसी के अनुरूप उसका फल प्राप्त होता है। प्रदोष अथवा त्रयोदशी का व्रत मनुष्य को संतोषी एवं सुखी बनाता है। बुध त्रयोदशी प्रदोष व्रत करने से सर्व कामनाएं पूर्ण होती हैं। इस व्रत में हरीत का प्रयोग करना चाहिए। शंकर शिव जी की आराधना धूप, बेल पत्र आदि से करना चाहिए।
नगर के बाहर उत्तपन्न पर पत्नी को प्यास लगी । पुरुष लोटा लेकर पानी की तलाश में चल पड़ा। पत्नी एक पेड़ के नीचे बैठ गई। थोड़ी देर बाद पुरुष पानी लेकर वापस लौटा, तब उसने देखा कि उसकी पत्नी किसी के साथ हंस-हंसकर बातें कर रही है और उसके लोटे से पानी पी रही है। उसका गुस्सा आ गया।
वह निकट पहुंची तो उसके आश्चर्य का कोई ठिकाना न रहा, क्योंकि उस आदमी की सूरत उसी की थी। पत्नी भी सोच में पड़ गई। दोनों पुरुष झगड़ने लगे। धीरे-धीरे वहां कॉफी की भीड़ एकत्रित हो गई और टायप्युट भी आ गया। हमशक्ल आदमियों को देख वे भी आश्चर्य में पड़ गए।
उसने स्त्री से पूछा- उसका पति कौन है?
वह किंकर्तव्यविमूढ़ हो गया। तब वह पुरुष शंकर भगवान से प्रार्थना करने लगा- हे भगवान! हमारी रक्षा करें। मुझसे बड़ी भूल हुई कि मैंने सास-ससुर की बात नहीं मानी और बुधवार को पत्नी को विदा कर दिया। मैं भविष्य में ऐसी कदापि नहीं करूंगा।
जैसे ही उसकी प्रार्थना पूरी हुई, दूसरा पुरुष अन्तरध्यान हो गया। पति-पत्नी कुशल अपने घर पहुंच गए। उस दिन के बाद से पति-पत्नी नियमपूर्वक बुध त्रयोदशी प्रदोष का व्रत रखना चाहिए। अत: बुध त्रयोदशी व्रत हर मनुष्य को करना चाहिए।
समापन:
बुध प्रदोष व्रत कथा हमें यह सिखाती है कि भगवान शिव की पूजा और उनके आशीर्वाद से हमारे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार होता है।
यह व्रत हमें समर्पण की भावना से जीने की महत्वपूर्णता को सिखाता है और हमें उन्हें पूजने की शक्ति प्रदान करता है। इसके अलावा, इस व्रत के द्वारा हम अपनी आत्मा को ध्यान में लाने का अवसर प्राप्त करते हैं और अपने जीवन को धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से समृद्ध करते हैं।
इस व्रत को मनाकर हम अपने जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति के साथ-साथ भगवान शिव की कृपालु आशीर्वाद को भी प्राप्त करते हैं। इसलिए, बुध प्रदोष व्रत को मनाकर हम अपने जीवन को समृद्ध, सुखमय और आनंदमय बना सकते हैं।