श्री झूलेलाल चालीसा (श्री झूलेलाल चालीसा) हिंदी और अंग्रेजी में

श्री झूलेलाल चालीसा के आध्यात्मिक सार को जानें, जो भगवान झूलेलाल के दिव्य सार का सम्मान करने वाला एक पूजनीय भजन है।

हिंदी और अंग्रेजी दोनों में छंदों के साथ, यह पवित्र मंत्र आध्यात्मिक उत्थान और दिव्य कृपा के लिए आशीर्वाद मांगता है। आइए श्री झूलेलाल चालीसा की गहन भक्ति में डूब जाएं।

श्री झूलेलाल चालीसा हिंदी में

॥ दोहा ॥
जय जय जल देवता,
जय ज्योति स्वरूप ।
अमर उदेरो लाल जय,
झूलेलाल अनूप ॥

॥ चौपाई ॥
रतनलाल रतनाणी नंदन ।

जयति देवकी सुत जग वन्दन ॥

दरियाशाह वरुण अवतारी ।
जय जय लाल साईं सुखकारी ॥

जय जय होय धर्म की भीरा ।
जिन्दा पीर हरे जन पीरा ॥

संवत दस सौ सात मंझरा ।
चैत्र शुक्ल द्वितीया भगव वारा ॥४॥

ग्राम नसरपुर सिंध प्रदेशा ।
प्रभु अवतारे हरे जन कलेशा ॥

सिन्धु वीर ठट्ठा राजधानी ।
मिरखशाह नौप अति अभिमानी ॥

कपटी कुटिल क्रूर कुविचारी ।
यवन मलिनमन अत्याचारी ॥

धर्मांतरण करे सब केरा ।
दुखी हुए जन कष्ट वृंदा ॥८॥

पित्वाया हाकिम ढिंढोरा ।
हो इस्लाम धर्म चाहुँओरा ॥

सिंधी प्रजा बहुत घबराई ।
इष्ट देव को टेर लगाएं ॥

वरुण देव पूजे बहुंभाति ।
बिन जल अन्न गए दिन राती ॥

सिंधी तीर सब दिन चालीसा ।
घर घर ध्यान लगाये ईशा ॥१२॥

गरज उठ नाद सिन्धु सहसा ।
चारो और उठ नव हर्षा ॥

वरुणदेव ने सुनी पुकारा ।
प्रकटे वरुण मीन आसवारा ॥

दिव्य पुरुष जल ब्रह्मा स्वरूपा ।
कर पुस्तक नवरूप अनुना ॥

हर्षित हुए सकल नर नारी ।
वरुणदेव की महिमा न्यारी ॥१६॥

जय जय कारसंभव चाहुँओरा ।
गयी रात आने को भोर॥

मिरखशाह नौप अत्याचारी ।
नष्ट हो गयी शक्ति सारी ॥

दूर अधर्म, हरण भू भारा ।
शीघ्र नसरपुर में अवतारा ॥

रतनराय रातनानी आँगन ।
खेलेंगे, आउंगा बच्चा बन ॥२०॥

रतनराय घर ख़ुशी आई ।
झूलेलाल अवतारे सब देय बधाई ॥

घर घर मंगल गीत सुहाए ।
झूलेलाल हरण दुःखे ॥

मिर्खशाह तक चर्चा आई ।
भेजा मंत्री क्रोध दूरा॥

मंत्री ने जब बाल निहारा ।
धीरज गया हृदय का सारा ॥२४॥

देखि मंत्री साईं की लीला ।
अधिक विचित्र विमोहन शीला ॥

बूढ़ा दिखा युवा सेनानी ।
देखा मंत्री बुद्धि चक्रानी ॥

योद्धा रूप दिखे भगवाना ।
मंत्री हुए विगत अभिमान ॥

झूलेलाल दिया आदेश ।
जा तव नूपति कहोसंदेशा ॥२८॥

मिरखशाह नौप ताजे गुमाना ।
हिन्दू मुस्लिम एक समाना ॥

बंद करो नित्य अत्याचार ।
त्यागो धर्मान्तरण विचारा ॥

लेकिन मिर्खशाह अभिमानी ।
वरुणदेव की बात न मानी ॥

एक दिन हो अश्व सवारा ।
झूलेलाल गये दरबारा ॥३२॥

मिर्खशाह नौप ने आज्ञा दी ।
झूलेलाल बनाओ बंदी ॥

किया स्वरूप वरुण का धारण ।
चारो और हुआ जल प्लावन ॥

पठाकी डूबे उतराये ।
नौप के होश ठिकाने आये ॥

फिर तब पड़ा चरण में आई ।
जय जय धन्य जय साईं ॥३६॥

वापस लिया नौपति आदेश ।
दूर दूर सब जन क्लेशा ॥

संवत दस सौ बीस मंझारी ।
भाद्रशुक्ल चौदस शुभकारी ॥

भक्तो की हर आधी व्याधि ।
जल में ली जलदेव समाधि ॥

जो जन धरे आज भी ध्यान ।
उनका वरुण करे कल्याणा ॥४०॥

॥ दोहा ॥
चालीसा चालीस दिन पाठ करे जो कोय ।
पावे मन्वांचित फल अरु जीवन सुखमय होय ॥
॥ ॐ श्री वरुणाय नमः ॥

श्री झूलेलाल चालीसा अंग्रेजी में

॥दोहा ॥
जय जय जल देवता,
जय ज्योति स्वरूप ।
आमार उदेरो लाल जय,
झूलेलाल अनूप ॥

॥ चौपाई ॥
रतनलाल रतनानी नंदन ।
जयति देवकी सुत जग वन्दन॥

दरियाशाह वरुण अवतारी ।
जय जय लाल सैन सुखकारी॥

जय जय होय धर्म की भीरा।
जिन्दा पीर हरे जन पीरा ॥

संवत दस सौ सात मंझरा ।
चैत्र शुक्ल द्वितीया भागु वार ॥४॥

ग्राम नसरपुर सिंध प्रदेश ।
प्रभु अवतारे हरे जन कलेशा ॥

सिंधु वीर थट्टा राजधानी ।
मिरखाशाह नाओप अति अभिमानी॥

कपति कुटिल क्रूर कुविचारी ।
यवन मालिन मन अत्याचारी ॥

धर्मांतरण करे सब केरा ।
दुःखी हुए जन कष्ट घनेरा ॥ ८॥

पितावाया हाकिम ढिंढोरा ।
हो इस्लाम धर्म चहुँओरा ॥

सिंधी प्रजा बहुत घबराई ।
इष्ट देव को टेर लगाई॥

वरुण देव पूजे बहुम्भति ।
बिन जल अनन गये दिन राती ॥

सिंधी तीर सब दिन चालीसा ।
घर घर ध्यान लगाये ईशा ॥ १२॥

गरज उठा नाद सिन्धु सहसा ।
चारो और उठ नव हर्षा ॥

वरुणदेव ने सुनी पुकारा ।
प्रकटे वरुण मीन अश्वारा ॥

दिव्य पुरुष जल ब्रह्म स्वरूपा ।
कर पुस्तिका नवरूप अनूपा ॥

हर्षित हुए सकल नर नारी ।
वरुणदेव की महिमा न्यारी ॥१६॥

जय जय कार उठी चाहुनोरा ।
गई रात आने को भौंरा॥

मिरखाशाह नाओप अत्याचारी ।
नष्ट करुंगा शक्ति सारी ॥

दूर अधर्म हरण भू भारा ।
शिघ्र नसरपुर में अवतारा ॥

रतनराय रतनानि आँगन ।
खेलूंगा, आऊंगा शिशु बन ॥ 20॥

रतनराय घर खुशी आई ।
झूलेलाल अवतारे सब देय बधाई॥

घर घर मंगल गीत सुहाये ।
झूलेलाल हरण दुःख आये ॥

मीराखाशाह तक चर्चा आई ।
भेज मंत्रि क्रोध अधिकै ॥

मंत्री ने जब बाल निहारा ।
धीरज गया हृदय का सारा ॥ २४॥

देखि मंत्री सैन की लीला ।
अधिक विचित्र विमोहन शिला ॥

बालक दिखा युवा सेनानी ।
देखा मन्त्री बुद्धि चक्राणि ॥

योद्धा रूप दिखे भगवान ।
मन्त्री हुआ विगत अभिमान॥

झूलेलाल दिया आदेश ।
जा तव नौवपति कहो सन्देशा ॥ २८॥

मीराखाशाह नाउप तजे गुमाना ।
हिन्दू मुस्लिम एक समाना ॥

बंद करो निति अत्याचार ।
त्यागो धर्मान्तरं विचारा ॥

लेकिन चमत्कारशाह अभिमानी ।
वरुणदेव की बात न मानी॥

एक दिवस हो अश्व सवारा ।
झूलेलाल गये दरबारा ॥३२॥

मीराखाशाह नौप ने आग्या दी ।
झूलेलाल बनाओ बंदी॥

किया स्वरूप वरुण का धारण ।
चारो और हुआ जल प्लावन ॥

दरबारी डूबे उतरे ।
नाउप के होश ठिकाने आये ॥

नाउप तब पडा चरण में आई ।
जय जय धन्य जय सैन ॥३६॥

वापीस लिया नौपति आदेश ।
द्वार द्वार सब जन क्लेशा ॥

संवत दस सौ बीस मंझारी ।
भाद्र शुक्ल चौदस शुभकारी ॥

भक्तों की हर आधी व्याधि ।
जल में ली जलदेव समाधि ॥

जो जन धरे आज भी ध्यान ।
उनका वरुण करे कल्याणा ॥ ४०॥

॥दोहा ॥
चालीसा चालीस दिन पाठ करे जो कोय ।
पावे मानवंचित फल अरु जीवन सुखमय होय ॥
॥ ॐ श्री वरुणाय नमः ॥

श्री झूलेलाल चालीसा एक पवित्र भजन है जो भगवान झूलेलाल के दिव्य सार की प्रशंसा करता है। हिंदी और अंग्रेजी में छंदों के साथ, यह दिव्य आशीर्वाद और आध्यात्मिक उत्थान को आमंत्रित करता है।

आइये हम श्री झूलेलाल चालीसा के भक्तिमय उत्साह में डूब जाएं तथा दिव्य कृपा और आध्यात्मिक ज्ञान का अनुभव करें।

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