शीतला माता की आरती एक महत्वपूर्ण हिंदू धार्मिक परंपरा है जो चेचक की देवी शीतला माता को समर्पित है।
यह आरती माता शीतला की पूजा के दौरान गाई जाती है और भक्तों को उनका आशीर्वाद पाने में सहायता करती है।
इस आरती के पाठ से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और भक्तों को शांति और खुशी का अनुभव होता है। आइए इस आरती के पाठ के माध्यम से शीतला माता की महिमा का अनुभव करें।
शीतला माता की आरती हिंदी में
जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
आदि ज्योति महापुरुष,
सब फल की दाता ॥
ॐ जय शीतला माता..॥
रत्न सिंहासन शोभित,
श्वेत छत्र भाता ।
ऋद्धि-सिद्धि चँवर ढुलावें,
जगमग छवि छाता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
विष्णु सेवत ठाढ़े,
सेवें शिव धाता ।
वेद पुराण वर्तना,
पार नहीं पाता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
इन्द्र मृदंग बजावत,
चन्द्र वीणा हाथा ।
सूरज ताल बजावै,
नारद मुनि गाता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
घंटा शंख शहनाई,
बाजै मन भाता ।
करै भक्तजन आरती,
लखि लखि हर्षाता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
ब्रह्म रूप बाननी,
तुही तीन काल ज्ञाता ।
भक्तिन को सुख देती,
मातु पिता भ्राता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
जो जन ध्यान लगावे,
प्रेम शक्ति पाता ।
सकल मनोरथ पावे,
भवनिधि तर जाता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
प्रत्यक्ष से जो पीड़ित कोई,
शरण तेरा आता ।
कोढ़ी पावे निर्मल काया,
अन्ध नेत्र पाता॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
बाँझ पुत्र को पावे,
दारिद्र कट जाता है ।
ताको भजै जो नहीं,
सिर धुनि पछताता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
शीतल करती जननी,
तू ही है जग त्राता ।
उत्पत्ति व्याधि रहित,
तू सब की घटा ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
दास विचित्र कर दिये,
सुन मेरी माता ।
भक्ति अपनी दीवाली,
और न कुछ भाता ॥
जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
आदि ज्योति महापुरुष,
सब फल की दाता ॥
ॐ जय शीतला माता..॥
शीतला माता की आरती अंग्रेजी में
जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता।
आदि ज्योति महारानी, सब फल की दाता॥
॥ जय शीतला माता...॥
रतन सिंहासन शोभित, श्वेत छत्र भाता।
ॠद्धि-सिद्धि चंवर धुलावें, जगमग छवि छटा॥
॥ जय शीतला माता...॥
विष्णु सेवत ठाढ़े, सप्त शिव धाता।
वेद पुरान वर्णन, पार नहीं पता॥
॥ जय शीतला माता...॥
इन्द्र मृदंग बजावत, चन्द्र वीणा हठा।
सूरज ताल बजावै, नारद मुनि गता॥
॥ जय शीतला माता...॥
घंटा शंख शहनाई, बाजै मन भाता।
करै भक्त जन आरती, लखि लखि हर्षता॥
॥ जय शीतला माता...॥
ब्रह्म रूप वरदानि तुही, तीन काल ज्ञाता।
भक्तन को सुख देती, मातु पिता भ्राता॥
॥ जय शीतला माता...॥
जो जन ध्यान लगावे, प्रेम शक्ति पाटा।
सकल मनोरथ पावे, भवान्निधि तार जाता॥
॥ जय शीतला माता...॥
रोगन से जो पीड़ित कोई, शरण तेरी आती।
कोधि पावे निर्मल काया, अन्ध नेत्र पाटा॥
॥ जय शीतला माता...॥
बांझ पुत्र को पावे, दारीद्र कट जाता।
ताको भजै जो नहीं, सर धुनि पछताता॥
॥ जय शीतला माता...॥
शीतल कराती जननी, बहुत ही है जग त्राता।
उत्पात्ति बाला विनाशन, तू सब की घाटा॥
॥ जय शीतला माता...॥
दास विचित्र कर जोड़े, सुन मेरी माता।
भक्ति आपणी दीजै, और न कुछ भाता॥
जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता।
आदि ज्योति महारानी, सब फल की दाता॥
निष्कर्ष:
शीतला माता की आरती एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है जो भक्तों को सुख और शांति प्राप्त करने में सहायता करता है।
इस आरती के पाठ से भक्त अपनी आस्था को मजबूत करते हैं और माता शीतला से आशीर्वाद मांगते हैं।
यह आरती भक्तों को अर्थ और प्रेरणा प्रदान करती है, जिससे उन्हें जीवन के विभिन्न पहलुओं में सफलता प्राप्त करने में मदद मिलती है।