माँ नर्मदा आरती हिंदी और अंग्रेजी में

मध्य भारत की पवित्र नदी माँ नर्मदा का हिंदू पौराणिक कथाओं और आध्यात्मिकता में गहरा महत्व है।

भगवान शिव की पुत्री मानी जाने वाली नर्मदा को एक दिव्य शक्ति के रूप में पूजा जाता है, जो आशीर्वाद प्रदान करती है और आत्माओं को शुद्ध करती है।

नर्मदा आरती एक भक्तिपूर्ण अनुष्ठान है जो नदी के तट पर भक्तों द्वारा किया जाता है, जिसमें वे कृतज्ञता व्यक्त करते हैं तथा उनकी दिव्य कृपा की कामना करते हैं।

यह आरती माँ नर्मदा के प्रति प्रेम, श्रद्धा और भक्ति की अभिव्यक्ति है, जो मानव और प्रकृति के बीच शाश्वत संबंध को दर्शाती है।

माँ नर्मदा आरती हिंदी में

ॐ जय जगदानंदी,
मैया जय आनंद कंडी ।
ब्रह्मा हरिहर शंकर, रेवा
शिव हर प्रिय शंकर, रुद्रौ पालन्ति ॥
॥ ॐ जय जगदानंदी..॥

देवी नारद सारद तुम वरदायक,
अभिनव पदण्डी ।

सुर नर मुनि जन सेवत,
सुर नर मुनि...
शरद पद्वाचन्ति ।
॥ ॐ जय जगदानंदी..॥

देवी धूमक वाहन राजत,
वीणा वादन्ति।
झुमकट-झुमकट-झुमकट,
झन्नान झमकत रमति राजन्ति ।
॥ ॐ जय जगदानंदी..॥

देवी बाजत ताल मृदंगा,
सुर मण्डल रमति ।
तोड़ितान-तोड़ीतान-तोड़ीतान,
तुरड़ड़ रमति सुरवन्ती ।
॥ ॐ जय जगदानंदी..॥

देवी सकल भुवन पर आप विराजत,
निषाद आनन्दी ।
गावत गंगा शंकर, सेवत रेवा
शंकर तुम भट मेटन्ती ।
॥ ॐ जय जगदानंदी...॥

मैयाजी को कंचन थार विराजत,
अगर कपूर बाती ।
अमर कंठ में विराजत,
घाटन घाट बिराजत,
कोटि रत्न ज्योति ।
॥ ॐ जय जगदानंदी..॥

मैयाजी की आरती,
निश्चिन्त पढ़ गावरि,
हो रेवा जुग-जुग नरगावे,
भजत शिवानन्द स्वामी
जपत हर प्रभु नंद स्वामी मनवांछित पावे।

ॐ जय जगदानंदी,
मैया जय आनंद कंडी ।
ब्रह्मा हरिहर शंकर, रेवा
शिव हर प्रिय शंकर, रुद्रौ पालन्ति ॥

माँ नर्मदा आरती अंग्रेजी में

ओम जय जगदानंदी,
मैया जय आनन्द काण्डी ।
ब्रह्मा हरिहर शंकर, रेवा
शिव हरि शंकर, रुद्रौ पलन्ती ।
॥ ॐ जय जगदानन्दि॥

देवि नारद सारद तुम वरदायक,
अभिनव पडांडी ।
सुर नर मुनि जन सेवत,
सुर नर मुनि ।
शरद पदवाचन्ति ।
॥ ॐ जय जगदानन्दि॥

देवी धूमक वाहन रजत,
वीणा वद्यंति ।
झुमाकट-झुमाकट-झुमाकट,
झन्नन झमाकट रमति राजन्ति ।
॥ ॐ जय जगदानन्दि॥

देवी बाजत ताल मृदंगा,
सुर मण्डल रमति ।
तोडिटान-तोडिटान-तोडिटान,
तुरादाद रमति सुरवन्ती ।
॥ ॐ जय जगदानन्दि॥

देवी सकल भुवन पर आप विराजत,
निषादिन आनन्दी ।
गावत गंगा शंकर, सेवत रेवा
शंकर तुम भात मेतन्ति ।
॥ ॐ जय जगदानन्दि॥

मैयाजी को कंचन थार विराजत,
अगर कपूर बाटी ।
अमर कंठ मैं विराजत,
घाटन घाट बिराजत,
कोटि रतन ज्योति ।
॥ ॐ जय जगदानन्दि॥

मैयाजी की आरती,
निषादिन पढ गवारी,
हो रेवा जुग-जुग नरगावे,
भजत शिवानंद स्वामी
जपत हरि नन्द स्वामी मनवंचित पावे ।

ओम जय जगदानंदी,
मैया जय आनन्द काण्डी ।
ब्रह्मा हरिहर शंकर, रेवा
शिव हरि शंकर, रुद्रौ पलन्ती ।

निष्कर्ष:

जैसे ही आरती की लपटें आसपास के वातावरण को आलोकित करती हैं, हृदय आस्था, भक्ति और मां नर्मदा के साथ एकता की भावना से भर जाता है।

नर्मदा आरती के माध्यम से भक्तजन नदी के प्रति अपनी श्रद्धा और कृतज्ञता व्यक्त करते हैं तथा अपने जीवन में इसकी दिव्य उपस्थिति को स्वीकार करते हैं।

माँ नर्मदा का आशीर्वाद सदैव प्रवाहित होता रहे, आत्माओं का पोषण करता रहे तथा मानवता को आध्यात्मिक जागृति और आंतरिक शांति की ओर मार्गदर्शन करता रहे।

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