हिंदू आध्यात्मिकता के क्षेत्र में, भक्ति का सार अक्सर पवित्र भजनों और मंत्रों के उच्चारण में निहित होता है।
इनमें खाटू श्याम चालीसा आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है, जो अपने गहन छंदों और कालातीत ज्ञान से लाखों लोगों के दिलों को मोहित करती है।
आइये, श्याम बाबा की दिव्य उपस्थिति से अनुप्राणित इस पूजनीय रचना की गहराई में उतरने की यात्रा पर चलें।
ईश्वरीय संबंध की खोज: हिंदी और अंग्रेजी संस्करण
खाटू श्याम चालीसा की सुंदरता भाषाई बाधाओं को पार करने की इसकी क्षमता में निहित है, जो दुनिया भर के भक्तों के साथ प्रतिध्वनित होती है।
चाहे हिंदी में या अंग्रेजी में, प्रत्येक पद भक्ति की जीवंतता से भरा हुआ है, जो भगवान श्याम के दिव्य आशीर्वाद का आह्वान करता है। आइए हम दोनों भाषाओं में चालीसा के दिल को छू लेने वाले पदों पर एक नज़र डालें:
खाटू श्याम चालीसा हिंदी में
॥ दोहा॥
श्री गुरु चरणन ध्यान धर,
सुमीर सच्चिदानंद ।
श्याम चालीसा भजत हूँ,
रच चौपाई छंद ।
॥ चौपाई ॥
श्याम-श्याम भजी बारंबारा ।
सहज ही हो भवसागर पारा ॥
इन सम देव न दूजा कोई ।
दिन दयालु न दाता होई ॥
भीम सुपुत्र अहिल्यावती ।
कही भीम का पौत्र कहलाया ॥
यह सब कहानी कही कल्पित कहानी ।
तनिक न मनो इसमें अंतर ॥
ब्रह्रावीक विष्णु अवतारा ।
भक्तन हेतु मनुज तन धारा ॥
बासुदेव देवकी प्यारे ।
जसुमति मैया नंद दुलारे ॥
मधुसूदन गोपाल मुरारी ।
वृजकिशोर गोवर्धन धारी ॥
सियाराम श्री हरि गोविंदा ।
दिनपाल श्री बाल मुकुंदा ॥
दामोदर रण छोड़ बिहारी ।
नाथ द्वारिकाधीश खरारी ॥
राधाबल्लभुक्ख्मणि कांता ।
गोपी बल्लभ कंस हन्ता ॥ 10
मनमोहन चित चोर कहाए ।
माखन चोरी-चारी कर खाए ॥
मुरलीधर यदुपति घनश्यामा ।
कृष्ण पतित पावन अभिराम॥
मायापति लक्ष्मीपति ईशा ।
पुरुषोत्तम केशव जगदीशा ॥
विश्वपति जय भुवन पसारा ।
दीनबंधु भक्तन रखवारा ॥
प्रभु का भेद न कोई पाया ।
शेष महेश थके मुनिराया ॥
नारद शरद ऋषि योगिन्द्रार ।
श्याम-श्याम सब रटत अंतर्ध्यान ॥
कवि कोडी करी कानन गिनंता ।
नाम अपार अथाह अनन्ता ॥
हर सृष्टि हर सुग में भाई ।
ये अवतार भक्त सुखदाई ॥
हृदय माहि करि देखु विचारा ।
श्याम भजे तो हो निस्तारा ॥
कौर पाठवत गणिका तारी ।
भीलनी की भक्ति बलिहारी ॥ 20
सती अहिल्या गौतम नारी ।
भई श्रापवश शिला दुलारी ॥
श्याम चरण राज चित लाई ।
पहुंचे पति लोक में जाही ॥
अजामिल अरु सदन कसाई ।
नाम प्रताप परम गति पाय॥
जाके श्याम नाम अधारा ।
सुख लहहि दुःख दूर हो सारा ॥
श्याम सलवन है अति सुन्दर ।
मोर मुकुट सिर तन पीताम्बर ॥
गले बसंती माल सुहाया ।
छवि अनूप भक्तन मान भाई ॥
श्याम-श्याम सुमिरहु दिन-राती ।
श्याम दुपहरि कर प्रभाती ॥
श्याम सारथी जिस रथ के ।
दूर होए उस पथ के॥
श्याम भक्त न कहि पर हारा ।
भीर परी तब श्याम पुकारा ॥
रसना श्याम नाम रस पी ले ।
जी ले श्याम नाम के ही ले ॥ 30
संसारी सुख भोग मिलेगा ।
अन्त श्याम सुख योग मिलेगा ॥
श्याम प्रभु हैं तन के काले ।
मन के गोरे भोले-भाले ॥
श्याम संत भक्तन हितकारी ।
रोग-दोष अध नशे भारी ॥
प्रेम सहित जब नाम पुकारा ।
भक्त लगत श्याम को प्यारा ॥
खाटू में हैं मथुरावासी ।
परब्रह्म पूर्ण अविनाशी ॥
सुधा तान भरी मुरली बजाई ।
चहु दिसि जहां सुन पाई ॥
वृद्ध-बाल जेते नारी नर ।
मुग्ध भये सुनि बंशी स्वर ॥
हार्डबड कर सब पहुँच जाई ।
खाटू में जहां श्याम कन्हाई ॥
जिन श्याम स्वरूप निहारा ।
भव भय से छुटकारा पाया ॥
॥ दोहा ॥
श्याम सलोने संवारे,
बार्बीरिक तनुधार ।
इच्छा पूर्ण भक्त की,
करो न लाओ बार
॥ इति श्री खाटू श्याम चालीसा ॥
खाटू श्याम चालीसा अंग्रेजी में
।। दोहा ।।
श्री गुरु चरण ध्यान धर
सुमिरि सच्चिदानंद ।
श्याम चालीसा भजत हूं
रच चौपाई छंद ।
।। चौपाई ।।
श्याम श्याम भाजी बारबरा
सहज ही हो भवसागर पारा ।
इन सम देव ना दूजा कोई
दीन दयालु न दाता होई ।
भीमासुपुत्र अहिलवती जया
कहिन भीम का पौत्रा कहाया ।
यह सब कथा सही कल्पान्तर
तनिक ना मानोन अंतर ।
बर्बरीक विष्णु अवतार
भक्तन हेतु मनुज तनु धरा ।
वासुदेव देवकी प्यारे
यशुमति मैया नन्द दुलारे ।
मधुसूदन गोपाल मुरारी
बृजकिशोर गोवर्धन धारी।
सियाराम श्री हरि गोविंदा
दीनपाल श्री बाल मुकुंदा ।
दामोदर रणछोड़ बिहारी
नाथ द्वारिकाधीश खरारी ।
नरहरि रूप प्रहलाद प्यारा
खम्भ फेरी हिरणाकुश मारा ।। 10 ।।
राधा वल्लभ रुक्मिणी कांता
गोपी बल्लभ कंस हनन्त ।
मनमोहन चिताचोर कहाये
माखन चोरी चोरी कर खाये ।
मुरलीधर यदुपति घनश्याम
कृष्ण पतितपावन अभिराम ।
मायापति लक्ष्मीपति ईसा
पुरुषोत्तम केशव जगदीशा ।
विश्वपति त्रिभुवन उजियारा
दीनबंधु भक्तन राखवारा ।
प्रभु का भेद कोई न पाया
शेष महेश थके मुनियारा ।
नारद शरद ऋषि योगीन्द्र
श्याम श्याम सब रटत निरंतर ।
कवि कोविद करि सके न गिनंता
नाम अपार अथः अनंता ।
हर सृष्टि हर युग में भाई
ले अवतार भक्त सुखदाई ।
हृदय मनहि करि देखु विचारा
श्याम भजे तो हो निस्तारा ।। 20 ।।
कीर पदावत गणिका तारी
भीलनी की भक्ति बलिहारी ।
सती अहिल्या गौतम नारी
भी श्राप वश शिला दुखारी ।
श्याम चरण रच नित लाई
पहुंची पतिलोक में जय ।
अजामिल अरु सदन कासाई
नाम प्रताप परम गति पाई ।
जाके श्याम नाम अधारा
सुख लहाहि दुख दूर हो सारा ।
श्याम सुलोचन है अति सुन्दर
मोर मुकुट सिर तन पीताम्बर ।
गैल वैजयंतीमाला सुहाई
छवि अनूप भक्तन मन भाई।
श्याम श्याम सुमिरहुँ दिनराति
शम दुपहारी अरु परभाति ।
श्याम सारथी सीके रथ के
रोडे दूर होय उस पथ के ।
श्याम भक्त न कहीं पर हारा
भीर परी तब श्याम पुकारा ।। ३० ।।
रसना श्याम नाम पी ले
जी ले श्याम नाम के हाले ।
संसारी सुख भोग मिलेगा
अन्त श्याम सुख योग मिलेगा ।
श्याम प्रभु हैं तन के काले
मन के गोरे भोले भाले ।
श्याम संत भक्तन हितकारी
रोग दोष अघ नाशै भारी ।
प्रेम सहित जे नाम पुकारा
भक्त लगत श्याम को प्यारा ।
खाटू में है मथुरा वासी
पर ब्रह्मा पूरण अविनासी ।
सुधा तन भारी मुरली बाजै
चहुँ दिसि नाना जहाँ सुनी पै ।
वृद्ध बल जेते नारी नर
मुग्ध भये सुनी वंशी के स्वर ।
दौड़ दौड़ पाहुंचे सब जाई
खाटू में जहां श्याम कन्हाई।
जिसेन श्याम स्वरुप निहारा
भव भय से पाया छुटकारा ।। 40 ।।
। । दोहा ।।
श्याम सलोने सांवरे बर्बरीक तनु धर ।
इच्छा पूर्ण भक्त की करो ना लाओ बार ।
खाटू श्याम चालीसा के सार का अनावरण
श्री श्याम चालीसा के छंद हमें भगवान खाटू श्याम की भक्ति में लीन कर देते हैं। यह चालीसा प्रेम, भक्ति और समर्पण के व्यक्तिगत अनुभव का प्रतीक है। इसके माध्यम से हम परमपिता परमात्मा के प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं और उनकी कृपा के लिए प्रार्थना करते हैं।
निष्कर्ष: आस्था का एक प्रमाण
आध्यात्मिक भजनों की ताने-बाने में खाटू श्याम चालीसा भक्ति और आस्था के धागों से सजी एक दीप्तिमान रत्न की तरह चमकती है। इसके छंद समय और स्थान के पार गूंजते हैं, और श्याम बाबा के दिव्य आलिंगन में शांति की तलाश करने वाले भक्तों के दिलों में गूंजते हैं।
इस पवित्र रचना के अन्वेषण का समापन करते हुए, आइए हम इसकी शाश्वत शिक्षाओं को आगे बढ़ाएं तथा अपने जीवन के प्रत्येक पहलू में भक्ति के सार को अपनाएं।
खाटू श्याम चालीसा के आलिंगन में हमें सांत्वना, शक्ति और अटूट विश्वास मिलता है, जो हमें अस्तित्व के उतार-चढ़ाव से गुजरते हुए दिव्य आनंद के शाश्वत धाम की ओर ले जाता है।