जानकी स्रोत्र (श्री जानकी स्रोत्र - जानकि त्वां नमस्यामि)

जानकी स्तोत्र, देवी जानकी को समर्पित एक पवित्र भजन है, जिन्हें हिंदू पौराणिक कथाओं में भगवान राम की पत्नी सीता के रूप में भी जाना जाता है।

जानकी स्तोत्र एक शक्तिशाली प्रार्थना है जो देवी सीता के आशीर्वाद और कृपा को याद दिलाती है, जो अपनी अटूट भक्ति, धैर्य और शक्ति के लिए पूजनीय हैं।

जैसे-जैसे हम इस भजन के छंदों में डूबते हैं, हम सीता द्वारा सन्निहित दिव्य स्त्री ऊर्जा के प्रति गहन श्रद्धा और आराधना द्वारा निर्देशित एक आध्यात्मिक यात्रा पर निकल पड़ते हैं। जानकी सूत्र के माध्यम से, हम उनके गुणों को नमन करते हैं और अपने जीवन में उनकी सुरक्षा और मार्गदर्शन की कामना करते हैं।


श्री जानकी स्रोत्र हिंदी में

जानकि त्वां नमस््यामि सर्वपापप्रणाशिनीम्
जानकि त्वां नमस्यामि सर्वपापप्रणाशिनीम् ॥१॥

दारिद्र्यारणसंहर्त्रिं भक्तानाभिष्टदायिनीम् ।
विदेषराजतनयां राघवानन्दकारिणीम् ॥२॥

भूमेर्दुहितरं विद्यां नमामि प्रकृतिं शिवाम् ।

पौलस्त्यैश्वर्यसंहत्रीं भक्ताभिष्टां सरस्वतीम् ॥३॥a

पतिव्रताधुरीणां त्वां नमामि जनकात्मजाम् ।
अनुग्रहपरामृद्धिमनघां हरिवल्लभाम् ॥४॥

आत्मविद्यां त्रयीरूपामुमारूपां नमाम्यहम् ।
प्रसादाभिमुखं लक्ष्मीं क्षीराब्धितनयां शुभाम् ॥५॥

नमामि चन्द्रभगिनी सीतां सर्वाङ्गसुन्दरीम् ।
नमामि धर्मनिलयां करुणां वेदमातरम् ॥६॥

पद्मालयं पद्महस्तां विष्णुवक्षःस्थलालयाम् ।
नमामि चन्द्रनिलयान् सीतां चन्द्रनिभानाम् ॥७॥

आह्लादरूपिणीं सिद्धिं शिवा शिवकरीं सतीम् ।
नमामि विश्वजननीं रामचन्द्रेष्टवल्लभम् ।
सीतां सर्वान्वद्यङ्गीं भजामि सततं हृदा ॥८॥

निष्कर्ष:

अंत में, जानकी सूत्र देवी सीता के दिव्य गुणों के लिए एक कालातीत स्तुति है, जो दुनिया भर के भक्तों को सांत्वना, शक्ति और आध्यात्मिक उत्थान प्रदान करता है।

जब हम इन पवित्र श्लोकों का पाठ करते हैं, तो हम उनकी कृपा और ज्ञान से ओतप्रोत हो जाते हैं, जो हमें आंतरिक शांति और ज्ञान की ओर ले जाता है।

ब्लॉग पर वापस जाएँ