गृह वास्तु शांति पूजन एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है जिसका उद्देश्य घर में शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का आह्वान करना है। यह मूल्यांकन विशेष रूप से तब किया जाता है जब कोई नया घर बनता है या पुराने घर में निर्माण होता है।
वास्तु शांति पूजा से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और गृह में सुख-शांति का वास होता है। इस पूजा में विभिन्न प्रकार की प्रथाओं का उपयोग किया जाता है, जो इस अनुष्ठान को सफल बनाने के लिए आवश्यक हैं।
गृह वास्तु शांति पूजन सामग्री
| सामग्री | : ... |
| 0 | 10 ग्राम |
| पीला सिंदूर | 10 ग्राम |
| पीला अष्टगंध चंदन | 10 ग्राम |
| लाल चंदन | 10 ग्राम |
| विस्तृत चंदन | 10 ग्राम |
| लाल सिंदूर | 10 ग्राम |
| हल्दी | 50 ग्राम |
| हल्दी | 50 ग्राम |
| सुपाड़ी (सुपाड़ी) | 100 ग्राम |
| लँगो | 10 ग्राम |
| वलायची | 10 ग्राम |
| सर्वौषधि | 1 डिब्बी |
| सप्तमृतिका | 1 डिब्बी |
| सप्तधान्य | 100 ग्राम |
| माधुरी | 50 ग्राम |
| जनेऊ | 21 पीस |
| पर्ल बड़ी | 1 शीशी |
| गारी का गोला (सूखा) | 11 पीस |
| पानी वाला नारियल | 1 पीस |
| जटादार सूखा नारियल | 2 पीस |
| अक्षत (चावल) | 11 किलो |
| दानबत्ती | 2 पैकेट |
| रुई की बट्टी (गोल / लंबा) | 1-1 पैकेट |
| देशी घी | 1 किलो |
| सरसों का तेल | 1 किलो |
| कपूर | 50 ग्राम |
| कलावा | 7 पीस |
| चुनरी (लाल /पपी) | 1/1 पीस |
| कहना | 500 ग्राम |
| लाल रंग | 5 ग्राम |
| पीला रंग | 5 ग्राम |
| काला रंग | 5 ग्राम |
| नारंगी रंग | 5 ग्राम |
| हरा रंग | 5 ग्राम |
| बैंगनी रंग | 5 ग्राम |
| अबीर गुलाल (लाल, पीला, हरा, गुलाबी) अलग-अलग | 10-10 ग्राम |
| बुक्का (अभ्रक) | 10 ग्राम |
| गंगाजल | 1 शीशी |
| गुलाबजल | 1 शीशी |
| लाल वस्त्र | 5 मीटर |
| पीला वस्त्र | 5 मीटर |
| सफेद वस्त्र | 5 मीटर |
| हरा वस्त्र | 2 मीटर |
| नीला वस्त्र | 2 मीटर |
| बंदनवार (शुभ, लाभ) | 2 पीस |
| स्वास्तिक (स्टिकर वाला) | 5 पीस |
| वास्तु यंत्र | 1 पीस |
| रुद्राक्ष की माला | 1 पीस |
| छोटा-बड़ा | 1-1 पीस |
| माचिस | 2 पीस |
| आम की लकड़ी | 5 किलो |
| नवग्रह समिधा | 1 पैकेट |
| हवन सामग्री | 2 किलो |
| तामिल | 500 ग्राम |
| जो | 500 ग्राम |
| गुड | 500 ग्राम |
| कमलगट्टा | 100 ग्राम |
| गुग्गुल | 100 ग्राम |
| दून | 100 ग्राम |
| सुन्दर बाला | 50 ग्राम |
| स्वादिष्ट कोकिला | 50 ग्राम |
| नागरमोथा | 50 ग्राम |
| जटामांसी | 50 ग्राम |
| अगर-तगर | 100 ग्राम |
| इंद्र जौ | 50 ग्राम |
| बेलगुडा | 100 ग्राम |
| सतावर | 50 ग्राम |
| गुरच | 50 ग्राम |
| जावित्री | 25 ग्राम |
| भोजपत्र | 1 पैकेट |
| कस्तूरी | 1 डिब्बी |
| केसर | 1 डिब्बी |
| खैर की लकड़ी | 4 पीस |
| काला उड़द | 250 ग्राम |
| मूंग दाल का पापड़ | 1 पैकेट |
| :(क) | 50 ग्राम |
| पंचमेवा | 200 ग्राम |
| पंचरत्न व पंचधातु | 1 डिब्बी |
| धोती (पीली/लाल) | 1 पीस |
| अगोँछा (पीला/लाल) | 1 पीस |
| सुहाग सामग्री – साड़ी, बिंदी, सिंदूर, चूड़ी, आलता, नाक की कील, पायल, इत्यादि। | |
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घर से सामग्री
| सामग्री | : ... |
| मिष्ठान | 1 किलो |
| पान के पत्ते | 21 पीस |
| आम के पत्ते | 2 द |
| ऋतु फल | 5 प्रकार के |
| दूब घास | 100 ग्राम |
| शमी की पत्ती | 10 ग्राम |
| कमल का फूल | 11 पीस |
| फूल,हार लड़की (गुलाब) की | 5 मीटर |
| फूल, हार लड़की (गेंदे) की | 7 मीटर |
| गुलाब का खुला हुआ फूल | 1 किलो |
| गेंदा का खुला हुआ फूल | 1 किलो |
| तुलसी का पौधा | 1 पीस |
| तुलसी की पत्ती | 5 पीस |
| दूध | 1 ट |
| : | 1 किलो |
| गणेश जी की मूर्ति | 1 पीस |
| लक्ष्मी जी की मूर्ति | 1 पीस |
| राम दरबार की प्रतिमा | 1 पीस |
| कृष्णदेव की प्रतिमा | 1 पीस |
| हनुमान जी महाराज की प्रतिमा | 1 पीस |
| दुर्गा माता की प्रतिमा | 1 पीस |
| शिव शंकर भगवान की प्रतिमा | 1 पीस |
| ओ | 100 ग्राम |
| : ... | 500 ग्राम |
| अखण्ड दीपक | 1 पीस |
| पृष्ठ/पीतल का कलश (ढक्कन रेंज) | 1 पीस |
| थाली | 7 पीस |
| लोटे | 4 पीस |
| : ... | 9 पीस |
| कटोरी | 9 पीस |
| : ... | 2 पीस |
| परात | 4 पीस |
| कैंची / चाकू (लड़ी काटने हेतु ) | 1 पीस |
| हनुमान ध्वजा हेतु बांस (छोटा/ बड़ा) | 1 पीस |
| जल के लिए दाता | 2 पीस |
| जल (पूजन हेतु) | |
| गाय का गोबर | |
| : ... | |
| ऐड का आसन | |
| कुंरी | 1 पीस |
| अंगोछा | 1 पीस |
| पूजा में रखने हेतु सिंदुरा | 1 पीस |
| धोती | |
| कुर्ता | |
| अंगोछा | |
| पंच पात्र | |
| माला! | |
| लकड़ी की चौकी | 7 पीस |
| पता | 8 पीस |
| मिट्टी का कलश (बड़ा) | 11 पीस |
| मिट्टी का प्याला | 21 पीस |
| मिट्टी की दीयाली | 21 पीस |
पूजा विधि
गृह वास्तु शांति पूजा विधि को सही तरीके से करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करना चाहिए:
स्थान की शुद्धि : सबसे पहले घर के स्थान की शुद्धि करें। गंगाजल या शुद्ध जल में हल्दी और कुमकुम मिलाकर शुद्ध करें।
कलश स्थापन : एक ताम्र या पीतल के कलश में पानी भरकर, उसमें आम के पत्ते और नारियल रखें। इसे पूजा स्थल पर स्थापित करें।
देवताओं का आह्वान : भगवान गणेश, वास्तु पुरुष और अन्य देवी-देवताओं का आह्वान करें और उन्हें अक्षत, फूल और चंदन अर्पण करें।
मंत्र जाप : वास्तु शांति मंत्रों का जाप करें। इस दौरान पूजा स्थल पर घी का दीपक जलाएं और धूप-अगरबत्ती का प्रयोग करें।
नैवेद्य अर्पण : भगवान को नैवेद्य (फल, मिठाई आदि) अर्पण करें।
हवन : हवन कुंड में आम की लकड़ी, घी, हवन सामग्री और अन्य आवश्यक सामग्री के साथ हवन करें। हवन के दौरान वास्तु शांति मंत्रों का उच्चारण करें।
आरती और प्रसाद वितरण : अंत में, आरती करें और प्रसाद वितरण करें। पूजा समाप्त होने के बाद, घर के सभी सदस्यों को प्रसाद ग्रहण करना चाहिए।
लाभ
गृह वास्तु शांति पूजन के कई महत्वपूर्ण लाभ होते हैं:
नकारात्मक ऊर्जा का नाश : यह पूजा घर में उपस्थित नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।
सुख-शांति और समृद्धि : घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है। परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और सहयोग बढ़ता है।
स्वास्थ्य और समृद्धि : वास्तु शांति पूजा से परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और धन-धान्य की वृद्धि होती है।
रोग और बाधाओं का निवारण : इस पूजा से घर में आने वाली सभी प्रकार की बीमारियां और रोग दूर होते हैं।
सकारात्मक माहौल : घर में एक सकारात्मक और सुखद माहौल बनता है, जो सभी सदस्यों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है।
गृह वास्तु शांति पूजन से न केवल घर का वातावरण पवित्र और सकारात्मक है, बल्कि यह परिवार के समग्र कल्याण और समृद्धि के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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गृह वास्तु शांति पूजन न केवल धार्मिक अनुष्ठान है बल्कि यह हमारे जीवन को सकारात्मक ऊर्जा, सुख-शांति और समृद्धि से भरने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है।
इस पूजा से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और घर में सकारात्मकता का संचार होता है, जिससे परिवार के सभी सदस्य मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहते हैं।
इस पूजा के दौरान उपयोग की जाने वाली विभिन्न आदतों और कर्तव्यों का पालन करके हम अपने जीवन में संतुलन और खुशहाली ला सकते हैं।
गृह वास्तु शांति पूजा का नियमित पालन हमारे जीवन में स्थायी सुख-शांति और समृद्धि सुनिश्चित करता है। इस प्रकार, यह अनुष्ठान हमारे घर को एक सुरक्षित और पवित्र स्थान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।