गंड मूल पूजा सामग्री सूची(मूल पूजा सामग्री)

गंड मूल पूजा एक वैदिक अनुष्ठान है जो जन्म के समय कुछ नक्षत्रों (नक्षत्रों) के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए किया जाता है। हिंदू ज्योतिष में, छह गंड मूल नक्षत्र हैं - अश्विनी, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा, मूल और रेवती।

इन नक्षत्रों में जन्म लेने से व्यक्ति के जीवन में चुनौतियाँ और बाधाएँ आ सकती हैं। गंड मूल पूजा इन नक्षत्रों के शासक देवताओं को शांत करने और सामंजस्यपूर्ण और समृद्ध जीवन के लिए उनका आशीर्वाद लेने के लिए की जाती है।

गंड मूल पूजा सामग्री सूची

सामग्री : ...
0 10 ग्राम
पीला सिंदूर 10 ग्राम
पीला अष्टगंध चंदन 10 ग्राम
लाल चंदन 10 ग्राम
विस्तृत चंदन 10 ग्राम
लाल सिंदूर 10 ग्राम
हल्दी 50 ग्राम
हल्दी 50 ग्राम
सुपाड़ी (सुपाड़ी) 100 ग्राम
लँगो 10 ग्राम
वलायची 10 ग्राम
जनेऊ 5 पीस
टमाटर 1 शीशी
गारी का गोला (सूखा) 2 पीस
पानी वाला नारियल 1 पीस
जटादार सूखा नारियल 1 पीस
अक्षत (चावल) 1 किलो
दानबत्ती 1 पैकेट
रुई की बट्टी (गोल / लंबा) 1-1 पैकेट
देशी घी 1 किलो
सरसों का तेल 1 किलो
कपूर 20 ग्राम
कलावा 5 पीस
चुनरी (लाल /पपी) 1/1 पीस
कहना 500 ग्राम
लाल रंग 5 ग्राम
पीला रंग 5 ग्राम
काला रंग 5 ग्राम
नारंगी रंग 5 ग्राम
हरा रंग 5 ग्राम
बैंगनी रंग 5 ग्राम
अबीर गुलाल (लाल, पीला, हरा, गुलाबी) अलग-अलग 10-10 ग्राम
बुक्का (अभ्रक) 10 ग्राम
गंगाजल 1 शीशी
गुलाब जल 1 शीशी
सर्वौषधि 1 डिब्बी
सप्तमृतिका 1 डिब्बी
सप्तधान्य 100 ग्राम
माधुरी 50 ग्राम
नवग्रह चावल 1 पैकेट
पंचरत्न व पंचधातु 1 डिब्बी
लाल वस्त्र 1 मीटर
पीला वस्त्र 1 मीटर
काले वस्त्र 1 मीटर
हनुमान जी का झंडा 1 पीस
रुद्राक्ष की माला 1 पीस
हवन कुण्ड 1 पीस
माचिस 1 पीस
आम की लकड़ी 2 किलो
नवग्रह समिधा 1 पैकेट
हवन सामग्री 500 ग्राम
तामिल 100 ग्राम
जो 100 ग्राम
गुड 500 ग्राम
कमलगट्टा 100 ग्राम
गुग्गुल 100 ग्राम
दून 100 ग्राम
सुन्दर बाला 50 ग्राम
स्वादिष्ट कोकिला 50 ग्राम
नागरमोथा 50 ग्राम
जटामांसी 50 ग्राम
अगर-तगर 100 ग्राम
इंद्र जौ 50 ग्राम
बेलगुडा 100 ग्राम
सतावर 50 ग्राम
गुरच 50 ग्राम
जावित्री 25 ग्राम
भोजपत्र 1 पैकेट
कस्तूरी 1 डिब्बी
केसर 1 डिब्बी
काला उड़द 250 ग्राम
:(क) 50 ग्राम
पंचमेवा 200 ग्राम
27 खट्टा का जल
27 स्थान की मिट्टी
27 नक्षत्र हवन समिधा

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घर से सामग्री

सामग्री : ...
मिष्ठान 500 ग्राम
पान के पत्ते 21 पीस
केले के पत्ते 5 पीस
आम के पत्ते 2 द
ऋतु फल 5 प्रकार के
दूब घास 50 ग्राम
फूल,हार (गुलाब) की 2 माला
फूल हार (गेंदे) की 2 माला
गुलाब/गेंदा का खुला हुआ फूल 500 ग्राम
तुलसी की पत्ती 5 पीस
दूध 1 ट
: 1 किलो
100 ग्राम
: ... 500 ग्राम
अखण्ड दीपक 1 पीस
पृष्ठ/पीतल का कलश (ढक्कन रेंज) 1 पीस
थाली 2 पीस
लोटे 2 पीस
कटोरी 4 पीस
: ... 2 पीस
परात 2 पीस
कैंची / चाकू (लड़ी काटने हेतु) 1 पीस
हनुमान ध्वजा हेतु बांस (छोटा/ बड़ा) 1 पीस
जल (पूजन हेतु)
गाय का गोबर
: ...
ऐड का आसन
कुंरी 1 पीस
अंगोछा 1 पीस
पूजा में रखने हेतु सिंदुरा 1 पीस
धोती
कुर्ता
अंगोछा
पंच पात्र
माला!
लकड़ी की चौकी 1 पीस
छोटा-बड़ा 1-1 पीस
मिट्टी का कलश (बड़ा) 1 पीस
मिट्टी का कलश (छोटा) 4 पीस
मिट्टी का प्याला 8 पीस
मिट्टी की दीयाली 8 पीस
मूल मुलानियाँ चांदी के 1 पीस
क्षहा 1 पीस
सुप 1 पीस
काला कंबल या चादर 1 पीस
पीतल के कटोरे 2 पीस
धोती (पीली / लाल) 1 पीस
अगोछा (पीला / लाल) 1 पीस
27 छिद्र वाला कलश
27 वृक्षों के पत्ते
27 किलो अनाज
27 गिलास या गिलास

पूजा विधि (प्रक्रिया):

तैयारी:

  • पूजा एक विद्वान पुजारी द्वारा करवाई जानी चाहिए।
  • सभी आवश्यक पूजा सामग्री (फूल, फल, धूपबत्ती, घी, तांबे या पीतल का कलश, तथा लाल कपड़ा, चावल, चंदन और पान के पत्ते जैसी विशिष्ट वस्तुएं एकत्रित करें।
  • पूजा के लिए उपयुक्त मुहूर्त (शुभ समय) निर्धारित किया जाना चाहिए।

मंगलाचरण:

  • पुजारी गणेश वंदना से पूजा शुरू करते हैं और पूजा में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करने के लिए भगवान गणेश का आह्वान करते हैं।
  • नवग्रहों की पूजा भी उनका आशीर्वाद पाने के लिए की जाती है।

कलश स्थापना:

  • पूजा स्थल के मध्य में जल से भरा एक कलश रखा जाता है, जो ईश्वर की उपस्थिति का प्रतीक है।
  • कलश को आम के पत्तों और नारियल से सजाया जाता है।

मुख्य पूजा:

  • पुजारी उस नक्षत्र से संबंधित विशिष्ट मंत्रों का जाप करता है जिसमें व्यक्ति का जन्म हुआ था।
  • नक्षत्र से संबंधित देवताओं को फूल, फल और मिठाई अर्पित की जाती है।
  • पुजारी मंत्रोच्चार करते हुए अग्नि में घी और अन्य पवित्र पदार्थ अर्पित करके होम (अग्नि अनुष्ठान) करते हैं।

पूर्णाहुति एवं आरती:

  • अंतिम आहुति अग्नि में डाली जाती है (पूर्णाहुति), जो मुख्य अनुष्ठान के पूरा होने का संकेत है।
  • देवताओं की आरती की जाती है और भक्तों को प्रसाद वितरित किया जाता है।

समापन अनुष्ठान:

  • पुजारी व्यक्ति और उसके परिवार को आशीर्वाद देता है, उन पर पवित्र जल छिड़कता है।
  • कृतज्ञता के प्रतीक के रूप में पुजारी को दक्षिणा दी जाती है।

    गंड मूल पूजा के लाभ:

    नकारात्मक प्रभावों का शमन:

    • यह पूजा गंड मूल नक्षत्र से जुड़े अशुभ प्रभावों को बेअसर करने में मदद करती है, तथा जीवन में बाधाओं और चुनौतियों को कम करती है।

    संरक्षण और समृद्धि:

    • इस पूजा को करने से दुर्भाग्य से सुरक्षा मिलती है तथा समग्र कल्याण और समृद्धि में वृद्धि होती है।

    सामंजस्यपूर्ण संबंध:

    • यह पारिवारिक रिश्तों में शांति और सद्भाव को बढ़ावा देता है तथा एक सहयोगी और प्रेमपूर्ण वातावरण को बढ़ावा देता है।

    स्वास्थ्य और दीर्घायु:

    • पूजा से प्राप्त आशीर्वाद अच्छे स्वास्थ्य और लंबी आयु में योगदान देता है।

    आध्यात्मिक विकास:

    • यह आध्यात्मिक विकास में सहायता करता है तथा व्यक्ति को दिव्य चेतना के करीब लाता है।

      निष्कर्ष:

      गंडमूल पूजा वैदिक ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जो विशिष्ट नक्षत्रों द्वारा उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करता है।

      इस पूजा को भक्तिपूर्वक करने और निर्धारित अनुष्ठानों का पालन करने से व्यक्ति दिव्य आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है, जिससे जीवन में सुगमता और समृद्धि सुनिश्चित होती है।

      यह पूजा न केवल ज्योतिषीय समस्याओं को कम करती है, बल्कि आध्यात्मिक और भावनात्मक कल्याण को भी बढ़ाती है, तथा सामंजस्यपूर्ण और संतुष्टिपूर्ण जीवन को बढ़ावा देती है।

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