अहोई माता आरती, देवी अहोई के प्रति श्रद्धा में गाया जाने वाला एक सुंदर भजन, हिंदू परंपराओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
पूरे भारत में भक्तजन गहरी श्रद्धा और विश्वास के साथ इस आरती का जाप करते हैं तथा अपने परिवार के लिए अहोई माता का आशीर्वाद और सुरक्षा की कामना करते हैं।
अहोई माता की आरती अंग्रेजी और हिंदी दोनों में उपलब्ध है, जो दिव्य मां के प्रति एक पवित्र आह्वान है, जिसमें कृतज्ञता व्यक्त की जाती है और उनकी दिव्य कृपा की कामना की जाती है।
आइये हम अहोई माता की आरती के सार को समझें और हिंदू संस्कृति में इसके महत्व को जानें।
अहोई माता की आरती हिंदी में
जय अहोई माता,
जय अहोई माता ।
तुमको निसदिन ध्यावत,
हर विष्णु विधाता ॥
ॐ जय अहोई माता ॥
तू ही है जगमाता ।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत,
नारद ऋषि गता ॥
ॐ जय अहोई माता ॥
माता रूप निरंजन,
सुख-सम्पत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्यावत,
नित मंगल पाता ॥
ॐ जय अहोई माता ॥
तू ही पाताल बसंती,
तू ही है शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव प्रकाशक,
जगनिधि से त्राता ॥
ॐ जय अहोई माता ॥
जिस घर थारो वासा,
वहीं में गुण आता है ।
कर न सके सोई कर ले,
मन नहीं घबराता ॥
ॐ जय अहोई माता ॥
तुम रोलिंग सुख न होवे,
न कोई पुत्र पाता ।
खान-पान का वैभव,
तुम बिन नहीं आता ॥
ॐ जय अहोई माता ॥
शुभ गुण सुन्दर युक्ता,
क्षीर निधि जाती है ।
रतन चतुर्दश तोकू,
कोई नहीं पाता ॥
ॐ जय अहोई माता ॥
श्री अहोई माँ की आरती,
जो कोई गाता ।
उर उमंग अति उपजे,
पाप उतर जाता ॥
ॐ जय अहोई माता,
मैया जय अहोई माता !!
अहोई माता की आरती अंग्रेजी में
तुमको निसदिन ध्यावतहरि विष्णु विधाता॥
॥जय अहोई माता..॥
सूर्यचन्द्रमाध्यावतनारद ऋषि गता॥
॥जय अहोई माता..॥
माता रूप निरंजनसुख सम्पत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्यावतनित मंगल पाता॥
॥जय अहोई माता..॥
तू ही है पाताल बसंती, तू ही है सुख दाता।
कर्म प्रभाव प्रकाशजगनिधि से त्राता ॥
॥जय अहोई माता..॥
जिस घर थारो वासवही में गुना आता है।
कर न सके सोई कर लेमन न घबराता ॥
॥जय अहोई माता..॥
तुम बिन सुख ना होवयपुत्र ना कोई पता ।
खान-पान का वैभव तुम बिन नहीं आता ॥
॥जय अहोई माता..॥
शुभ गुण सुन्दर युक्ताशीर निधि जाता ।
रतन चतुर्दशातोकु कोई नहिं पता ॥
॥जय अहोई माता..॥
श्री अहोई माँ की आरतीजो कोई गाता ।
उर उमंग अति उपजयपाप उतर जाता ॥
जय अहोई माता, जय अहोई माता ।