Shani Pradosh Vrat Katha(शनि प्रदोष व्रत कथा) in Hindi

भारतीय संस्कृति में धर्म और परंपरा का महत्व हमेशा से है। इसी धारावाहिकता के अंतर्गत भारतीय समाज ने अनेक पर्व और व्रतों को महत्वपूर्ण स्थान दिया है। इनमें से एक है 'शनि प्रदोष व्रत' जो शनिवार के प्रदोष काल में किया जाता है।

यह व्रत शनि देवता को समर्पित होता है और उनकी कृपा को प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है। शनि प्रदोष व्रत कथा के माध्यम से हम इसे समझते हैं, उसका महत्व समझते हैं, और धार्मिक दृष्टिकोण से अपने जीवन में उसकी महत्वता को स्थापित करते हैं।

शनि प्रदोष व्रत कथा

शनि प्रदोष व्रत कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक नगर सेठ थे। सेठजी के घर में हर प्रकार की सुख-सुविधाएं थीं लेकिन संतान नहीं होने के कारण सेठ और सेठानी हमेशा दुःखी रहते थे। काफी सोच-विचार करके सेठजी ने अपना काम नौकरों को सौंप दिया और खुद सेठानी के साथ तीर्थयात्रा पर निकल पड़े।

अपने नगर से बाहर निकलने पर उन्हें एक साधु मिले, जो ध्यानमग्न बैठे थे। सेठजी ने सोचा, क्यों न साधु से आशीर्वाद लेकर आगे की यात्रा की जाए। सेठ और सेठानी साधु के निकट बैठ गए। साधु ने जब आंखें खोलीं तो उन्हें ज्ञात हुआ कि सेठ और सेठानी काफी समय से आशीर्वाद की प्रतीक्षा में बैठे हैं।

साधु ने सेठ और सेठानी से कहा कि मैं तुम्हारा दुःख जानता हूं। तुम शनि प्रदोष व्रत करो, इससे तुम्हें संतान सुख प्राप्त होगा। साधु ने सेठ-सेठानी प्रदोष व्रत की विधि भी बताई और शंकर भगवान की निम्न वंदना बताई।


हे रुद्रदेव शिव नमस्कार ।
शिवशंकर जगगुरु नमस्कार ॥
हे नीलकंठ सुर नमस्कार ।
शशि मौलि चन्द्र सुख नमस्कार ॥
हे उमाकांत सुधि नमस्कार ।
उग्रत्व रूप मन नमस्कार ॥
ईशान ईश प्रभु नमस्कार ।
विश्‍वेश्वर प्रभु शिव नमस्कार ॥

दोनों साधु से आशीर्वाद लेकर तीर्थयात्रा के लिए आगे चल पड़े। तीर्थयात्रा से लौटने के बाद सेठ और सेठानी ने मिलकर शनि प्रदोष व्रत किया जिसके प्रभाव से उनके घर एक सुंदर पुत्र का जन्म हुआ और खुशियों से उनका जीवन भर गया।

निष्कर्ष:

शनि प्रदोष व्रत कथा हमें धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से जीवन के महत्वपूर्ण मूल्यों को समझाती है। यह व्रत हमें संयम, ध्यान, और धार्मिक साधना की महत्वता को सिखाता है। इसके माध्यम से हम अपने आत्मा को शुद्धि और शक्ति प्राप्त करते हैं, जो हमें जीवन की चुनौतियों का सामना करने में मदद करता है।

इस प्रदोष व्रत कथा के माध्यम से हम अपने जीवन को समृद्धि, शांति और आनंद से भर देते हैं और एक प्रकार से अपने आप को देवी-देवताओं के आसन्नता के लिए उत्तेजित करते हैं।

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