Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 21(कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 21)

कार्तिक मास हिन्दू धर्म में अत्यधिक पवित्र और महत्वपूर्ण महीना माना जाता है। इस मास में भगवान विष्णु की उपासना का विशेष महत्व है।

अनेक पुराणों और धर्मग्रंथों में कार्तिक मास की महत्ता का वर्णन मिलता है। 'कार्तिक मास माहात्म्य' कथा में, इस मास के दौरान किये जाने वाले व्रत, पूजा और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों का विस्तार से वर्णन है।

अध्याय 21 में, इस मास के महत्व को और अधिक स्पष्ट किया गया है, जिसमें भगवान विष्णु के भक्तों की कथाएँ, उनके द्वारा प्राप्त फलों और आशीर्वादों का विस्तार से उल्लेख किया गया है। यह अध्याय न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसमें निहित नैतिक और आध्यात्मिक संदेश भी गहन हैं।

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 21

लिखने लगा हूँ श्रीहरि के,
चरणों में शीश नवाय ।
कार्तिक माहात्म का बने,
यह इक्कीसवाँ अध्याय ॥
अब ब्रह्मा आदि देवता नतमस्तक होकर भगवान शिव की स्तुति करने लगे। वे बोले - हे देवाधिदेव! आप प्रकृति से परे पारब्रह्म और परमेश्वर हैं, आप निर्गुण, निर्विकार व सबके ईश्वर होकर भी नित्य अनेक प्रकार के कर्मों को करते हैं। हे प्रभु! हम ब्रह्मा आदि समस्त देवता आपके दास हैं। हे शंकर जी! हे देवेश! आप प्रसन्न होकर हमारी रक्षा कीजिए। हे शिवजी! हम आपकी प्रजा हैं तथा हम सदैव आपकी शरण में रहते हैं।

नारद जी राजा पृथु से बोले – जब इस प्रकार ब्रह्मा आदि समस्त देवताओं एवं मुनियों ने भगवान शंकर जी की अनेक प्रकार से स्तुति कर के उनके चरण कमलों का ध्यान किया तब भगवान शिव देवताओं को वरदान देकर वहीं अन्तर्ध्यान हो गये। उसके बाद शिवजी का यशोगान करते हुए सभी देवता प्रसन्न होकर अपने-अपने लोक को चले गये।

भगवान शंकर के साथ सागर पुत्र जलन्धर का युद्ध चरित्र पुण्य प्रदान करने वाला तथा समस्त पापों को नष्ट करने वाला है। यह सभी सुखदायक और शिव को भी आनन्ददायक है। इन दोनों आख्यानों को पढ़ने एवं सुनने वाला सुखों को भोगकर अन्त में अमर पद को प्राप्त करता है।

निष्कर्ष

कार्तिक मास माहात्म्य के अध्याय 21 में वर्णित कथाएँ और उपाख्यान हमें जीवन में धर्म और आस्था के महत्व को समझने में सहायक हैं। इस अध्याय में भगवान विष्णु के प्रति अटूट भक्ति, उनके द्वारा दिए गए आशीर्वाद और भक्तों की निष्ठा का वर्णन किया गया है।

यह हमें सिखाता है कि सच्ची भक्ति और धर्म के मार्ग पर चलने से हम अपने जीवन में शांति और समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं। अध्याय 21 की कथा न केवल आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग दिखाती है, बल्कि हमें यह भी याद दिलाती है कि कार्तिक मास में किये गए धार्मिक अनुष्ठान और व्रत हमारे जीवन को सकारात्मक दिशा में मोड़ सकते हैं।

भगवान विष्णु की कृपा से हमें जीवन में आने वाली कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति मिलती है और हम सच्चे आनंद की प्राप्ति कर सकते हैं।

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