हिंदू धर्म में भगवान दत्तात्रेय को त्रिमूर्ति के रूप में जाना जाता है, जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश के संयुक्त रूप हैं। दत्तात्रेय को ज्ञान, तपस्या और भक्ति का प्रतीक माना जाता है।
दत्त स्तवम स्तोत्र एक प्रसिद्ध धार्मिक स्तुति है जो भगवान दत्तात्रेय की महिमा का गुणगान करती है। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान दत्तात्रेय के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति प्रकट करने का एक सशक्त माध्यम प्रदान करता है।
दत्त स्तवम स्तोत्र की रचना महात्मा वासुदेवानंद सरस्वती ने की थी, जो भगवान दत्तात्रेय के महान भक्त और संत थे। इस स्तोत्र में भगवान दत्तात्रेय के विभिन्न रूपों, लीलाओं और उनकी अनुकंपा का वर्णन किया गया है। यह स्तोत्र भक्तों को आत्मिक शांति, ज्ञान और मुक्ति प्रदान करने का मार्गदर्शन करता है।
दत्त स्तवम स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों को अनेक आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। यह स्तोत्र न केवल मानसिक शांति और सुख का स्रोत है, बल्कि यह भक्तों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और उत्साह का संचार भी करता है। इसके नियमित पाठ से नकारात्मक विचार और चिंताएं दूर होती हैं, और आत्मा को शुद्धि और शांति का अनुभव होता है।
दत्त स्तवम स्तोत्र
॥ श्री गणेशाय नमः ॥
भूतप्रेतपिशाचाध्या यस्य स्मरणमात्रतः ॥
दूरादेव पलायत्ने दत्तात्रेय नमामि तम् ॥१॥
यंनामस्मरणादैन्यम पापं तापश्च नश्यति ॥
भीतीग्रहार्तीदु:स्वप्नं दत्तात्रेय नमामि तम् ॥२॥
दद्रुस्फोटककुष्ठादि महामारी विषूचिका ॥
नश्यंत्यन्येपि रोगाश्च दत्तात्रेय नमामि तम् ॥३॥
संगजा देशकालोत्था अपि सांक्रमिका गदाः ॥
शाम्यंति यत्स्मरणतो दत्तात्रेय नमामि तम् ॥४॥
सर्पवृश्चिकदष्टानां विषार्तानां शरीरिणाम ॥
यन्नाम शांतिदे शीघ्र दत्तात्रेय नमामि तम् ॥५॥
त्रिविधोत्पातशमनं विविधारिष्टनाशनम् ॥
यन्नाम क्रूरभीतिध्नं दत्तात्रेय नमामि तम् ॥६॥
वैर्यादिकृतमंत्रादिप्रयोगा यस्य कीर्तनात ॥
नश्यंति देवबाधाश्च दत्तात्रेय नमामि तम् ॥७॥
यच्छिष्यस्मरणात्सद्यो गतनष्टादि लभ्यते ॥
यः ईशः सर्वतस्त्राता दत्तात्रेय नमामि तम् ॥८॥
जयलाभयशःकामदातुर्दत्तस्य यः स्तवम् ॥
भोगमोक्षप्रदस्येमं पठेदत्तप्रियो भवेत ॥९॥
इति श्रीमत् परमहंस परित्राजकाचार्य श्रीवासुदेवानंदसरसस्वती
विरवितं श्रीदत्तस्तवस्तोत्रं संपूर्णम ॥
निष्कर्ष
दत्त स्तवम स्तोत्र एक अद्वितीय धार्मिक स्तुति है जो भगवान दत्तात्रेय की महिमा का गुणगान करती है और भक्तों को आत्मिक शांति और समृद्धि प्रदान करती है। इस स्तोत्र का पाठ करने से भगवान दत्तात्रेय की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का अनुभव होता है। यह स्तोत्र न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे जीवन को आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों से समृद्ध बनाने में भी सहायक है।
अतः, दत्त स्तवम स्तोत्र का नियमित पाठ और उसके अर्थ को समझना हमारे जीवन को सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। भगवान दत्तात्रेय की महिमा को समर्पित इस स्तोत्र का पाठ करके हम सभी उनके आशीर्वाद और अनुकंपा से अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं।