नरसिंह अवतार पौराणिक कथा हिंदी में

पौराणिक कथाओं में भगवान विष्णु के दस अवतारों में से एक नृसिंह अवतार है। यह कथा विशेष रूप से प्राचीन भारतीय साहित्य और सनातन धर्म के महत्वपूर्ण अंश के रूप में मानी जाती है। नृसिंह अवतार के पीछे एक महत्वपूर्ण संदेश छिपा है, जो असत्यता और अधर्म के विरुद्ध धर्म और सत्य की रक्षा का है।

नृसिंह अवतार की कथा में विष्णु भगवान के विशेष रूप से देवताओं और राक्षसों के बीच घटित युद्ध का वर्णन है। यह कथा हमें धर्म की प्राचीन शिक्षाओं के साथ-साथ शक्ति और साहस का भी अद्भुत सन्दर्भ प्रदान करती है।

कथा के अंतर्गत, हिरण्यकशिपु नामक राक्षस ने अपने प्राण का संजीवन नहीं पाने के कारण अपने प्राण को नृसिंह भगवान के पास छिपा लिया था। यहाँ भगवान नृसिंह की उपस्थिति में, उन्होंने असत्यता और अधर्म के विरुद्ध धर्म की रक्षा की और हिरण्यकशिपु का वध किया।

इस कथा का महत्व आज भी हमारे जीवन में है। यह हमें सिखाता है कि बुराई और अन्याय के विरुद्ध लड़ना है तथा सत्य और धर्म की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है।

नृसिंह अवतरण पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, हिरण्यकश्यप को ब्रह्माजी से क्षमा प्राप्त हुई थी कि वह न तो किसी मनुष्य द्वारा मारा जा सके न ही किसी पशु द्वारा। न दिन में मारा जा सके, न रात में, न ज़मीन पर मारा जा सके, न आसमान में। इस नशे में आकर उसके अंदर अहंकार आ गया। इसके बाद उन्होंने इंद्र देव का राज्य धारण कर लिया और तीनों लोकों में रहने वाले लोगों को देखना शुरू कर दिया। उन्होंने घोषणा की कि मैं ही इस पूरे संसार का भगवान हूं और मेरी सभी पूजा करता हूं।

उधर हिरण्यकश्यप के स्वभाव से विपरीत उनके पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। पिता के लाख मनाने और नृत्य करने के बाद भी वह भगवान विष्णु की पूजा करता रहा। जब प्रहला ने अपने पिता हिरण्यकश्यप की बात नहीं मानी तो उसने अपने ही बेटे को पहाड़ से धकेल कर मारने की कोशिश की, लेकिन भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रह्लाद की जान बचा ली। इसके बाद हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को जिंदा जलाने की नाकाम कोशिश की।

अंत में क्रोधित हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद को दीवार में बांध कर आग लगा दी और कहा तेरा भगवान कहां है, प्रह्लाद ने बताया कि भगवान छिपे हैं, जहां आपने मुझे बांध रखा है। जैसे ही हिरण्यकश्यप अपने गदे से प्रह्लाद को मारना चाहता है, वैसे ही भगवान विष्णु नरसिंह के अवतार लेकर खंभे से बाहर निकले और हिरण्यकश्यप का वध कर दिया। जिस दिन भगवान नृसिंह ने हिरण्यकश्यप का वध करके भक्त प्रह्लाद के जीवन की रक्षा की, उस दिन को नरसिंह जयंती के रूप में मनाया जाता है।

 

अंत में, नृसिंह अवतार की कथा न केवल धर्म और सत्य की जीत का प्रतीक है, बल्कि यह हमें अधर्म के प्रति सख्ती से लड़ने की प्रेरणा भी देती है। यह कथा हमें धर्म, साहस और सत्य के महत्व को समझाती है और हमें उन्हें अपने जीवन में प्रेरणा के लिए प्रेरित करती है। इसलिए, नरसिंह अवतार पौराणिक कथा न केवल हमारे धार्मिक विचारों को सशक्त करती है, बल्कि हमें समाज में न्याय और सत्य की दिशा में अग्रसर करती है।

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