माँ महा काली चालीसा (माँ महाकाली चालीसा- जय काली कंकाला मालिनी) हिंदी और अंग्रेजी में

माँ महाकाली चालीसा, उग्र देवी महाकाली को समर्पित एक पवित्र भजन है, जो उनकी दिव्य शक्ति और आशीर्वाद का जश्न मनाता है।

हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में छंदों के साथ, यह भक्ति मंत्र अंधकार से सुरक्षा और मुक्ति के लिए देवी की कृपा का आह्वान करता है।

आइये माँ महाकाली चालीसा के श्लोकों के माध्यम से इसके आध्यात्मिक सार को जानें।

माँ महाकाली चालीसा हिंदी में

॥ दोहा ॥
जय जय सीताराम के मध्यवासिनी अम्ब,
देहु दर्श जगदम्ब अब करहु न मातु विलम्ब ॥
जय तारा जय कालिका जय दश विद्या वृन्द,
काली चालीसा रचत एक सिद्धि कवि हिन्द ॥
प्रातः काल उठ जो पढ़ता है दुपहरिया या शाम,
दुःख दरिद्रता दूर हों सिद्धि होय सब काम ॥

॥ चौपाई ॥
जय काली कंकाल मालिनी,
जय मंगला महाकपालिनी ॥

रक्तबीज वधकारिणी माता,
सदा भक्तन की सुखदाता ॥

शिरो स्वामी भूषण अंगे,
जय काली जय मद्य मतंगे ॥

हर हृदयारविन्द सुविलासिनी,
जय जगदम्बा सकल दुःख नाशिनी ॥ ४॥

ह्रीं काली श्रीं महाकाराली,
क्रीं कल्याणी दक्षिणाकालि ॥

जय कलावती जय विद्यावती,
जय तारासुन्दरी महामति ॥

देहु सुबुद्धि हरहु सब संकट,
होहु भक्त के आगे परगट ॥

जय ॐ करे जय हुंकारे,
महाशक्ति जय अपरम्पारे ॥ ८ ॥

कमला कलियुग दर्प विनाशिनी,
सदा भक्तजन की भयनाशिनी ॥

अब जगदम्ब न देर लायकहु,
दुःख दरिद्रता मोर हटावहु ॥

जयति कराल कालिका माता,
कालानल समान घुटीगाता ॥

जयशंकरी सुरेशि सनातनी,
कोटि सिद्धि कवि मातु पुरातनी ॥ १४॥

कपर्दिनी कलि कल्प विमोचनि,
जय विकसित नव नलिन विलोचनी ॥

आनन्द करनी आनन्द निधाना,
देहुमातु मोहि निर्मल ज्ञाना ॥

करुणामृत सागरा कृपामयी,
होहु दुष्ट जन पर अब निर्दयी ॥

सकल जीव तोहि परम प्यारा,
सकल विश्व तोरे आधारा ॥ सोलह ॥

प्रलय काल में नर्तन करिणि,
जग जननी सब जग की पालिनी ॥

महोदरी माहेश्वरी माया,
हिमगिरि सुता विश्व की छाया ॥

स्वछन्द राद मारद धुनि माही,
गरजत तुम्ही और कोउ नाहि ॥

स्फुरति मणिगणाकार प्रतिने,
तारागण तु व्योम विताने ॥ २०॥

श्रीधरे सन्तन हितकारिणी,
अग्निपाणि अति दुष्ट विदारिणि ॥

धूम्र विलोचनि प्राण विमोचनि,
शुम्भ निशुम्भ मथनि वर लोचनि ॥

सहस भुजगी सरोरूह मालिनी,
चामुण्डे मरघट की वासिनी ॥

खप्पर मध्य सुशोणित साजी,
मारेहु माँ महिषासुर पाजी ॥ ॥

अम्ब अम्बिका चण्ड चण्डिका,
सब एके तुम आदि कालिका ॥

अजा एकरूपा बहुरूपा,
अकथ चरित्रा शक्ति अनूपा ॥

कलकत्ता के दक्षिण द्वारे,
मूरति तोरि महेशि अपारे ॥

कादम्बरी पनरत श्यामा,
जय माँतगी काम के धाम ॥ २८॥

कमलासन वासिनी कमलायनी,
जय श्यामा जय जय श्यामायनि ॥

मातंगी जय जयति प्रकृति हे,
जयति भक्ति उर कुमति सुमति हे ॥

कोटि ब्रह्म शिव विष्णु कामदा,
जयति अहिंसा धर्म जन्मदा ॥

जलथल नभ मण्डल में व्यापिनी,
सौदामिनी मध्य अलारपिनि ॥ ३२॥

झन्नान तच्छु मरिरिन नंदिनी,
जय सरस्वती वीणा वादिनी ॥

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे,
कलित कण्ठ शोभित नरमुण्डा ॥

जय ब्रह्माण्ड सिद्धि कवि माता,
कामाख्या और काली माता ॥

हिंगलाज विन्ध्याचल वासिनी,
अट्ठहासिनी अरु अघन नाशिनी ॥ ३॥

कितनी स्तुति करूँ अखण्डे,
तू ब्रह्माण्डे शक्तिजित चण्डे ॥

करहु कृपा सब पे जगदम्बा,
रहहिं निशंक तोर अवलम्बा ॥

चतुर्भुजी काली तुम श्यामा,
रूप तुम्हारा महाअभिराम ॥

खड्ग और खप्पर कर सोहत,
सुर नर मुनि सबको मन मोहत ॥ ॥

तुम्हारी कृपा पावे जो कोई,
रोग शोक नहिं ताकहँ होई ॥

जो यह पाठ करै चालीसा,
तापर कृपा करहिं गौरीशा ॥

॥ दोहा ॥
जय कपालिनी जय शिवा,
जय जय जय जगदम्ब,
सदा भक्तजन केरि दुःख हरहु,
मातु अविलम्ब ॥

माँ महा काली चालीसा अंग्रेजी में

॥दोहा ॥
जय जय सीताराम के मध्यवासिनी अम्ब,
देहु दर्ष जगदम्ब अब करहु न मातु विलम्ब ॥
जय तारा जय कालिका जय दश विद्या वृन्द,
काली चालीसा रचत एक सिद्धि कवि हिन्द ॥
प्रातः काल उठ जो पढ़े दुपहरिया या शाम,
दुःख दारिद्रता दूर हों सिद्धि होय सब काम ॥

॥ चौपाई ॥
जय काली कंकाल मालिनी,
जय मंगला महाकपालिनी ॥

रक्तबीज वधकारिणी माता,
सदा भक्तन की सुखदाता ॥

शिरो मालिका भूषित आंगे,
जय काली जय मद्य मातंगे ॥

हर हृदयारविंद सुविलासिनी,
जय जगदम्बे सकल दुःख नाशिनी ॥४॥

ह्रीं काली श्रीं महाकराली,
कृं कल्याणी दक्षिणकाली ॥

जय कलावती जय विद्यावती,
जय तारासुन्दरी महामति ॥

देहु सुबुद्धि हरहु सब संकट,
होहु भक्त के युग परगट॥

जय ओम करे जय हुंकारे,
महाशक्ति जय अपरम्परे ॥८॥

कमला कलियुग दर्प विनाशिनी,
सदा भक्तजन की भयनाशिनी ॥

अब जगदम्ब ना देर लगवहु,
दुःख दारिद्रता मोर हतवहु ॥

जयति कराल कालिका माता,

कालानल समान घुटीगाता ॥

जयशंकरी सुरेशी सनातनी,
कोटि सिद्धि कवि मातु पुरातनि ॥१२॥

कपर्दिनी काली कल्प विमोचनी,
जय विकसित नव नलिन विलोचनि ॥

आनंद करणी आनंद निधाना,
देहुमातु मोहि निर्मल ज्ञान॥

करुणामृत सागर कृपामयी,
होहु दुष्ट जन पर अब निरदई ॥

सकल जीव तोहि परम पियारा,
सकल विश्व तोरे अधारा ॥ १६॥

प्रलय काल में नर्तन करिणी,
जग जननी सब जग की पालिनी॥

महोदरी माहेश्वरी माया,
हिमगिरि सुता विश्व की छाया॥

स्वच्छंद राड मरद धुनि माहि,
गरजत तुमहिं और कोउ नाहीं ॥

स्फुरति मणिगणाकर प्रताणे,
तारगण तु व्योम विताने ॥ 20॥

श्रीधरे संतान हितकारिणी,
अग्निपाणि अति दुष्ट विदारिणी ।

धूम्र विलोचनि प्राण विमोचनि,
शुम्भ निशुम्भ मथानि वर लोचनि ॥

सहस भुजी सरोरूह मालिनी,
चामुण्डे मरघट की वासिनी॥

खप्पर मध्य सुशोनित साजी,
मारेहु मन महिषासुर पाजी॥ २४॥

अम्बिका चंद चंडिका,
सब एके तुम आदि कालिका॥

अजा एकरूपा बहुरूपा,
अकथ चरित्र शक्ति अनूपा ॥

कलकत्ता के दक्षिण द्वारे,
मूरति तोरि महेषी अपारे ॥

कादम्बरी पनारत श्यामा,
जय मंतगी काम के धाम॥ २८॥

कमलासन वासिनी कमलायानी,
जय श्यामा जय जय श्यामायनि ॥

मातंगी जय जयति प्रकृति हे,
जयति भक्ति उर कुमति सुमति हे ॥

कोटि ब्रह्म शिव विष्णु कामदा,
जयति अहिंसा धर्म जन्मा ॥

जलथल नभ मण्डल में व्यापिनी,
सौदामिनी मध्य अलापिनी ॥३२॥

झानानन तच्छु मरिरिन नादिनि,
जय सरस्वती वीणा वादिनी ॥

ॐ ऐं ह्रीं क्लिं चामुण्डायै विच्चे,
कलित कण्ठ शोभित नरमुण्ड ॥

जय ब्रह्माण्ड सिद्धि कवि माता,
कामाख्या और काली माता ॥

हिंगलाज विंध्याचल वासिनी,
अथाथाहासिनी अरु अघन नाशिनी ॥ ३६॥

कीतनि स्तुति करूँ अखण्डे,
तू ब्रह्माण्डे शक्तिजित् चण्डे ॥

करहु कृपा सब पे जगदम्बा,
रहहिं निशंक तोर अवलम्ब ॥

चतुर्भुजी काली तुम श्यामा,
रूप तुम्हार महा अभिरामा ॥

खड्ग और खप्पर कर सोहत,
सुर नर मुनि सबको मन मोहत ॥ ४०॥

तुम्हारी कृपा पावे जो कोई,
रोग शोक नहिं ताकाहन होई ॥

जो यह पथ करै चालीसा,
तापर कृपा करहिं गौरीशा ॥

॥दोहा ॥
जय कपालिनी जय शिव,
जय जय जय जगदम्ब,
सदा भक्तजन केरि दुःख हरहु,
मातु अविलंब ॥

माँ महाकाली चालीसा में उग्र देवी महाकाली के प्रति भक्ति और श्रद्धा का सार समाहित है, तथा सुरक्षा और मुक्ति के लिए उनसे आशीर्वाद मांगा जाता है।

इसके श्लोकों के माध्यम से भक्तगण अंधकार से सुरक्षा और मुक्ति की कामना करते हैं तथा उन्हें आध्यात्मिक विकास और साहस की ओर प्रेरित करते हैं।

माँ महा काली चालीसा का नियमित पाठ करने से देवी काली का आशीर्वाद और कृपा प्राप्त होती है, जो हमें आध्यात्मिक ज्ञान और अंधकार से मुक्ति की ओर मार्गदर्शन करती है।

आइए हम माँ महाकाली चालीसा की दिव्य शक्ति में डूब जाएं और अपने जीवन में सुरक्षा और साहस का आह्वान करें।

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