Shri Siddhivinayak Stotram (श्री विघ्ननिवारक सिद्धिविनायक स्तोत्रम्) in Hindi

भारत में गणपति या गणेश जी को विघ्नहर्ता के रूप में पूजा जाता है। हर शुभ कार्य की शुरुआत से पहले गणेश जी का आशीर्वाद लेना अति महत्वपूर्ण माना जाता है। इसी परंपरा के अंतर्गत 'श्री विघ्ननिवारक सिद्धिविनायक स्तोत्रम्' का पाठ किया जाता है। यह स्तोत्र अद्भुत शक्तियों से परिपूर्ण है और इसे नियमित रूप से पढ़ने से भक्तों के जीवन में आने वाली हर प्रकार की बाधाओं का नाश होता है।

गणेश जी को 'सिद्धिविनायक' कहा जाता है, जो कि सभी कार्यों में सिद्धि (सफलता) प्रदान करने वाले हैं। इस स्तोत्र में गणेश जी के विभिन्न स्वरूपों, गुणों और महिमा का वर्णन किया गया है। इसके माध्यम से भक्त गणेश जी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और जीवन की सभी समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं।

'श्री विघ्ननिवारक सिद्धिविनायक स्तोत्रम्' का पाठ न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि यह व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आत्मविश्वास का संचार भी करता है। गणेश जी के चरणों में समर्पित यह स्तोत्र भक्तों के मन में भक्ति, श्रद्धा और विश्वास को और भी प्रगाढ़ बनाता है।

श्री विघ्ननिवारक सिद्धिविनायक स्तोत्रम्

विघ्नेश विघ्नचयखण्डननामधेय
श्रीशंकरात्मज सुराधिपवन्द्यपाद ।
दुर्गामहाव्रतफलाखिलमंगलात्मन्
विघ्नं ममापहर सिद्धिविनायक त्वम् ॥1॥

सत्पद्मरागमणिवर्णशरीरकान्ति:
श्रीसिद्धिबुद्धिपरिचर्चितकुंकुमश्री: ।
दक्षस्तने वलयितातिमनोज्ञशुण्डो
विघ्नं ममापहर सिद्धिविनायक त्वम् ॥2॥

पाशांकुशाब्जपरशूंश्च दधच्चतुर्भि-
र्दोर्भिश्च शोणकुसुमस्त्रगुमांगजात: ।
सिन्दूरशोभितललाटविधुप्रकाशो
विघ्नं ममापहर सिद्धिविनायक त्वम् ॥3॥

कार्येषु विघ्नचयभीतविरंचिमुख्यै:
सम्पूजित: सुरवरैरपि मोदकाद्यै: ।
सर्वेषु च प्रथममेव सुरेषु पूज्यो
विघ्नं ममापहर सिद्धिविनायक त्वम् ॥4॥

शीघ्रांचनस्खलनतुंगरवोर्ध्वकण्ठ-
स्थूलेन्दुरुद्रगणहासितदेवसंघ: ।
शूर्पश्रुतिश्च पृथुवर्तुलतुंगतुन्दो
विघ्नं ममापहर सिद्धिविनायक त्वम् ॥5॥

यज्ञोपवीतपदलम्भितनागराजो
मासादिपुण्यददृशीकृतऋक्षराज: ।
भक्ताभयप्रद दयालय विघ्नराज
विघ्नं ममापहर सिद्धिविनायक त्वम् ॥6॥

सद्रत्नसारततिराजितसत्किरीट:
कौसुम्भचारुवसनद्वय ऊर्जितश्री:।
सर्वत्र मंगलकरस्मरणप्रतापो
विघ्नं ममापहर सिद्धिविनायक त्वम् ॥7॥

देवान्तकाद्यसुरभीतसुरार्तिहर्ता
विज्ञानबोधनवरेण तमोsपहर्ता ।
आनन्दितत्रिभुवनेश कुमारबन्धो
विघ्नं ममापहर सिद्धिविनायक त्वम् ॥8॥


॥इति श्रीमुद्गलपुराणे विघ्ननिवारकं श्रीसिद्धिविनायकस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

निष्कर्ष:

'श्री विघ्ननिवारक सिद्धिविनायक स्तोत्रम्' एक ऐसा स्तोत्र है जो जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और समृद्धि की कुंजी है। गणेश जी के प्रति सच्ची श्रद्धा और विश्वास के साथ इसका नियमित पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाली हर कठिनाई का निवारण होता है।

यह स्तोत्र गणेश जी की कृपा प्राप्त करने का सरल और प्रभावी माध्यम है। इसके नियमित पाठ से मन की शांति, समृद्धि और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। भक्तों का मानना है कि गणेश जी की स्तुति करने से वे सभी प्रकार के विघ्नों और बाधाओं से मुक्त हो जाते हैं और जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं।

अतः, 'श्री विघ्ननिवारक सिद्धिविनायक स्तोत्रम्' का पाठ करने से हमें गणेश जी का आशीर्वाद मिलता है, जो हमारे जीवन को सुखमय और समृद्ध बनाता है। यह स्तोत्र हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और हमें हर कार्य में सफलता प्राप्त करने की शक्ति प्रदान करता है। इस प्रकार, गणेश जी की कृपा से हमारा जीवन सुखमय, समृद्ध और बाधामुक्त होता है।

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