Rin Harta Shri Ganesh Stotra(ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र)

गणेश, जिन्हें विघ्नहर्ता और ऋद्धि-सिद्धि के प्रदाता के रूप में जाना जाता है, का विशेष स्थान हिंदू धर्म में है। वे प्रथम पूज्य हैं, जिनका स्मरण प्रत्येक शुभ कार्य के प्रारंभ में किया जाता है। गणेश जी के कई स्तोत्र और मंत्र हैं, जो उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए गाए जाते हैं। इनमें से एक अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रभावशाली स्तोत्र है - ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र।

ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए है जो कर्ज, आर्थिक संकट और अन्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। इस स्तोत्र का नियमित जाप करने से गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। ऐसा माना जाता है कि ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र के प्रभाव से न केवल आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं, बल्कि मानसिक शांति और स्थिरता भी प्राप्त होती है।

यह स्तोत्र गणेश पुराण से लिया गया है और इसका महत्व पौराणिक कथाओं में वर्णित है। इसके प्रभाव की व्याख्या कई संतों और विद्वानों ने की है। इस स्तोत्र का हर श्लोक गहन अर्थ और अद्वितीय शक्ति से भरपूर है, जो भगवान गणेश की अनुकंपा को प्राप्त करने में सहायक है।

ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र

॥ ध्यान ॥
ॐ सिन्दूर-वर्णं द्वि-भुजं गणेशं लम्बोदरं पद्म-दले निविष्टम् ।
ब्रह्मादि-देवैः परि-सेव्यमानं सिद्धैर्युतं तं प्रणामि देवम् ॥

॥ मूल-पाठ ॥
सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक् पूजित: फल-सिद्धए ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

त्रिपुरस्य वधात् पूर्वं शम्भुना सम्यगर्चित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

हिरण्य-कश्यप्वादीनां वधार्थे विष्णुनार्चित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

महिषस्य वधे देव्या गण-नाथ: प्रपुजित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

तारकस्य वधात् पूर्वं कुमारेण प्रपूजित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

भास्करेण गणेशो हि पूजितश्छवि-सिद्धए ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

शशिना कान्ति-वृद्धयर्थं पूजितो गण-नायक: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

पालनाय च तपसां विश्वामित्रेण पूजित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

इदं त्वृण-हर-स्तोत्रं तीव्र-दारिद्र्य-नाशनं,
एक-वारं पठेन्नित्यं वर्षमेकं सामहित: ।
दारिद्र्यं दारुणं त्यक्त्वा कुबेर-समतां व्रजेत् ॥

Conclusion

ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र: मनोकामनाओं की पूर्ति का मार्ग

ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का महत्व और प्रभाव इसके नियमित जाप से प्रकट होता है। यह स्तोत्र न केवल आर्थिक संकटों से उबरने में सहायक है, बल्कि यह मानसिक शांति और संतुलन भी प्रदान करता है।

यह स्तोत्र उन लोगों के लिए वरदान साबित हो सकता है, जो जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना कर रहे हैं। गणेश जी की अनुकंपा से हर मुश्किल आसान हो जाती है, और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।

गणेश जी की पूजा और स्तोत्र पाठ के माध्यम से हमें आत्मविश्वास, धैर्य और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का नियमित जाप करने से व्यक्ति के जीवन में न केवल आर्थिक सुधार होते हैं, बल्कि उसे आत्मिक शांति और संतोष भी प्राप्त होता है। गणेश जी की कृपा से सभी विघ्न और बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में सफलता प्राप्त होती है।

इसलिए, यदि आप भी किसी प्रकार की आर्थिक समस्या या मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं, तो ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का नियमित जाप करें और गणेश जी की कृपा से अपने जीवन को खुशहाल और समृद्ध बनाएं।

गणेश जी की महिमा अपरंपार है, और उनका यह स्तोत्र हमें उनकी अनंत कृपा का अनुभव करने का अवसर प्रदान करता है। गणेश जी की अनुकंपा से आप सभी के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति हो।

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