शिवजी का नाम सुनते ही हमारे मन में शांति और आनंद की भावना उत्पन्न होती है। वे विश्व के प्रभु हैं, जिनकी महिमा अतीव अमित है। इस दिव्यता को अनुभव करने के लिए, हिन्दू धर्म में अनेक मंत्र और स्तोत्र हैं, जिनमें से एक है श्री रुद्राष्टकम्।
शिव की महिमा का गान
रुद्राष्टकम् मंत्र, आठ श्लोकों की संख्या में है, जो शिवजी की महिमा, शक्ति और कृपा को स्तुति करते हैं। यह अद्वितीय स्तोत्र है जिसमें भगवान शिव के विभिन्न रूपों की महानता का वर्णन किया गया है। यह मंत्र उनके अनंत गुणों की प्रशंसा करते हुए हमें उनके पावन चरणों की शरण में ले जाता है।
॥ श्रीरुद्राष्टकम् ॥
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥ १॥
निराकारमोंकारमूलं तुरीयं
गिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकाल कालं कृपालं
गुणागार संसारपारं नतोऽहम् ॥ २॥
तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं
मनोभूत कोटिप्रभा श्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गङ्गा
लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ॥ ३॥
चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालं
प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं
प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥ ४॥
प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं
अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशम् ।
त्रयः शूल निर्मूलनं शूलपाणिं
भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम् ॥ ५॥
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी
सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ।
चिदानन्द संदोह मोहापहारी
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥ ६॥
न यावत् उमानाथ पादारविन्दं
भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।
न तावत् सुखं शान्ति सन्तापनाशं
प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासम् ॥ ७॥
न जानामि योगं जपं नैव पूजां
नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यम् ।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं
प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो ॥ ८॥
रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये ।
ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति ॥
॥ इति श्रीगोस्वामितुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकं संपूर्णम् ॥
महत्वपूर्ण अर्थ
रुद्राष्टकम् मंत्र को पढ़ने या सुनने से हमारा मन और आत्मा शिव के अद्वितीय गुणों में लीन हो जाते हैं। इस मंत्र के प्रति हमें भगवान शिव के प्रति भक्ति और समर्पण की भावना विकसित होती है। यह हमें जीवन के हर पहलू में सहारा देता है और हमें उसकी कृपा से आत्मिक उन्नति की दिशा में अग्रसर करता है।
ध्यान और साधना
रुद्राष्टकम् मंत्र का पाठ ध्यान और साधना के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। इसका नियमित जाप करने से मन की शांति और आत्मिक उन्नति होती है। यह हमें भगवान शिव की कृपा को प्राप्त करने में सहायक होता है और हमें उनके प्रति अधिक समर्पण की ओर ले जाता है।
रुद्राष्टकम् मंत्र एक ऐसा अद्वितीय प्रस्तुति है जो हमें भगवान शिव की अद्वितीय महिमा का अनुभव कराता है। इसका पाठ करने से हमारे जीवन में शांति, संतुलन और आनंद की भावना बनी रहती है। यह हमें अपने साधना मार्ग पर अग्रसर करता है और हमें भगवान शिव के प्रति अधिक समर्पण की ओर ले जाता है। इसलिए, रुद्राष्टकम् मंत्र का पाठ करके हम अपने जीवन को एक नई दिशा और अर्थ दे सकते हैं।