Shri Bhimashankar Jyotirlinga Utpatti Pauranik Katha(श्री भीमशंकर ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा) in Hindi

भारत एक प्राचीन और आध्यात्मिक धरोहरों का देश है, जहां अनेकों मंदिर और तीर्थ स्थल हैं, जो हजारों वर्षों से श्रद्धालुओं का आस्था का केंद्र बने हुए हैं। इन पवित्र स्थलों में से एक प्रमुख स्थान है श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, जो महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित है।

यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के बारह पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक है, और इसकी उत्पत्ति की कथा अत्यंत ही रोचक और प्रेरणादायक है।

श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति के पीछे की पौराणिक कथा बहुत ही महत्वपूर्ण और धार्मिक आस्था से परिपूर्ण है। इस कथा का जिक्र पुराणों में मिलता है, जिसमें भगवान शिव के अद्भुत और दिव्य चमत्कारों का वर्णन किया गया है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति एक असुर के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए हुई थी। इस कथा में भक्ति, शक्ति, और धर्म की विजय की महत्ता को दर्शाया गया है।

श्री भीमशंकर ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा

भीमशंकर ज्योतिर्लिंग का वर्णन शिवपुराण में मिलता है। शिवपुराण में कहा गया है, कि पुराने समय में भीम नाम का एक राक्षस था। वह राक्षस कुंभकर्ण का पुत्र था। परन्तु उसका जन्म ठीक उसके पिता की मृ्त्यु के बाद हुआ था।
अपनी पिता की मृ्त्यु भगवान राम के हाथों होने की घटना की उसे जानकारी नहीं थी। समय बीतने के साथ जब उसे अपनी माता से इस घटना की जानकारी हुई तो वह श्री भगवान राम का वध करने के लिए आतुर हो गया।

अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए उसने अनेक वर्षों तक कठोर तपस्या की। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर उसे ब्रह्मा जी ने विजयी होने का वरदान दिया। वरदान पाने के बाद राक्षस निरंकुश हो गया। उससे मनुष्यों के साथ साथ देवी देवताओ भी भयभीत रहने लगे।

धीरे-धीरे सभी जगह उसके आंतक की चर्चा होने लगी। युद्ध में उसने देवताओं को भी परास्त करना प्रारम्भ कर दिया।

जहां वह जाता मृ्त्यु का तांडव होने लगता। उसने सभी और पूजा पाठ बन्द करवा दिए। अत्यन्त परेशान होने के बाद सभी देव भगवान शिव की शरण में गए।

भगवान शिव ने सभी को आश्वासन दिलाया की वे इस का उपाय निकालेगें। भगवान शिव ने राक्षस को नष्ट कर दिया। भगवान शिव से सभी देवों ने आग्रह किया कि वे इसी स्थान पर शिवलिंग रुप में विराजित हो़। उनकी इस प्रार्थना को भगवान शिव ने स्वीकार किया। और वे भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के रुप में आज भी यहां विराजित है।

निष्कर्ष:

श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा हमें भगवान शिव की असीम कृपा और उनकी अनुकंपा की याद दिलाती है। यह कथा हमें यह सिखाती है कि जब भी अधर्म का बोलबाला होता है, तब धर्म की स्थापना के लिए भगवान शिव स्वयं प्रकट होते हैं।

इस कथा से यह भी स्पष्ट होता है कि भगवान शिव अपने भक्तों की रक्षा करने और उनके कष्टों को दूर करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का दर्शन और इस पौराणिक कथा का श्रवण न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि जीवन में धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी देता है। इस प्रकार, यह कथा और इस ज्योतिर्लिंग का महत्व हमें अपनी संस्कृति, धर्म और अध्यात्म की गहराइयों से जोड़े रखने में मदद करता है।

इस कथा का अध्ययन और इसका आदर करते हुए, हमें अपने जीवन में धर्म, सत्य और भक्ति का पालन करना चाहिए, ताकि हम भगवान शिव की कृपा प्राप्त कर सकें और अपने जीवन को सफल बना सकें।

इस ज्योतिर्लिंग की यात्रा और इस कथा का स्मरण हमारे मन को शांति और ऊर्जा प्रदान करता है, जिससे हम अपने जीवन के कठिनाइयों का सामना कर सकते हैं और धर्म की राह पर चलते हुए सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

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