सफला एकादशी, हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत है जिसे पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस व्रत का मुख्य उद्देश्य भगवान विष्णु की उपासना करके उनके आशीर्वाद प्राप्त करना है। सफला एकादशी का शाब्दिक अर्थ है "सफलता प्राप्त करने वाली एकादशी"। यह व्रत न केवल आध्यात्मिक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इसे धारण करने से मनुष्य को सांसारिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति भी होती है।
सफला एकादशी के व्रत को करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत की महिमा स्कंद पुराण में वर्णित है। सफला एकादशी की पौराणिक कथा के अनुसार, चम्पावती नगरी में महिष्मत नामक एक राजा राज्य करता था।
उसका पुत्र लुम्पक, बुरे कार्यों में लिप्त था और उसने अपने पिता के राज्य में आतंक मचा रखा था। राजा ने उसे राज्य से निष्कासित कर दिया। लुम्पक जंगल में निवास करने लगा और वहां भी चोरी और लूटपाट करने लगा।
सफला एकादशी व्रत कथा
भक्तवत्सल भगवान श्रीकृष्ण कहने लगे कि धर्मराज, मैं तुम्हारे स्नेह के कारण तुमसे कहता हूँ कि एकादशी व्रत के अतिरिक्त मैं अधिक से अधिक दक्षिणा पाने वाले यज्ञ से भी प्रसन्न नहीं होता हूँ। अत: इसे अत्यंत भक्ति और श्रद्धा से युक्त होकर करें। हे राजन! द्वादशीयुक्त पौष कृष्ण एकादशी का माहात्म्य तुम एकाग्रचित्त होकर सुनो।
सफला एकादशी व्रत कथा!
अंत में उसने चोरी करने का निश्चय किया। दिन में वह वन में रहता और रात्रि को अपने पिता की नगरी में चोरी करता तथा प्रजा को तंग करने और उन्हें मारने का कुकर्म करता। कुछ समय पश्चात सारी नगरी भयभीत हो गई। वह वन में रहकर पशु आदि को मारकर खाने लगा। नागरिक और राज्य के कर्मचारी उसे पकड़ लेते किंतु राजा के भय से छोड़ देते।
वन में एक अतिप्राचीन विशाल पीपल का वृक्ष था। लोग उसकी भगवान के समान पूजा करते थे। उसी वृक्ष के नीचे वह महापापी लुम्पक रहा करता था। इस वन को लोग देवताओं की क्रीड़ास्थली मानते थे। कुछ समय पश्चात पौष कृष्ण पक्ष की दशमी के दिन वह वस्त्रहीन होने के कारण शीत के चलते सारी रात्रि सो नहीं सका। उसके हाथ-पैर अकड़ गए।
सूर्योदय होते-होते वह मूर्छित हो गया। दूसरे दिन एकादशी को मध्याह्न के समय सूर्य की गर्मी पाकर उसकी मूर्छा दूर हुई। गिरता-पड़ता वह भोजन की तलाश में निकला। पशुओं को मारने में वह समर्थ नहीं था अत: पेड़ों के नीचे गिर हुए फल उठाकर वापस उसी पीपल वृक्ष के नीचे आ गया। उस समय तक भगवान सूर्य अस्त हो चुके थे।
वृक्ष के नीचे फल रखकर कहने लगा- हे भगवन! अब आपके ही अर्पण है ये फल। आप ही तृप्त हो जाइए। उस रात्रि को दु:ख के कारण रात्रि को भी नींद नहीं आई।
उसके इस उपवास और जागरण से भगवान अत्यंत प्रसन्न हो गए और उसके सारे पाप नष्ट हो गए। दूसरे दिन प्रात: एक अतिसुंदर घोड़ा अनेक सुंदर वस्तुअओं से सजा हुआ उसके सामने आकर खड़ा हो गया।
उसी समय आकाशवाणी हुई कि हे राजपुत्र! श्रीनारायण की कृपा से तेरे पाप नष्ट हो गए हैं। अब तू अपने पिता के पास जाकर राज्य प्राप्त कर। ऐसी वाणी सुनकर वह अत्यंत प्रसन्न हुआ और दिव्य वस्त्र धारण करके भगवान आपकी जय हो! कहकर अपने पिता के पास गया। उसके पिता ने प्रसन्न होकर उसे समस्त राज्य का भार सौंप दिया और स्वयं वन के रास्ते चल दिए।
अब लुम्पक शास्त्रानुसार राज्य करने लगा। उसके स्त्री, पुत्र आदि सारा कुटुम्ब भगवान नारायण का परम भक्त हो गया। वृद्ध होने पर वह भी अपने पुत्र को राज्य का भार सौंपकर वन में तपस्या करने चला गया और अंत समय में वैकुंठ को प्राप्त हुआ।
अत: जो मनुष्य इस परम पवित्र सफला एकादशी का व्रत करता है उसे अंत में मुक्ति मिलती है। जो नहीं करते वे पूँछ और सींगों से रहित पशुओं के समान हैं। इस सफला एकादशी के माहात्म्य को पढ़ने से अथवा श्रवण करने से मनुष्य को अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है।
निष्कर्ष
सफला एकादशी का व्रत न केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह व्रत व्यक्ति को आत्म-संयम और धार्मिक अनुशासन का पालन करना भी सिखाता है। यह व्रत व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाता है और उसके सभी कष्टों का निवारण करता है।
सफला एकादशी का महत्व केवल पौराणिक कथाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आज भी प्रासंगिक है और अनेक भक्तगण इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की आराधना करते हैं।
सफला एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, शारीरिक स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह व्रत हमें यह भी सिखाता है कि जीवन में किसी भी समय और किसी भी परिस्थिति में, अगर हम सच्चे मन से भगवान का स्मरण करते हैं और अपने कर्मों को सुधारते हैं, तो भगवान हमारी सहायता अवश्य करते हैं।
अतः, सफला एकादशी व्रत का महत्व और उसकी कथा यह स्पष्ट करती है कि भक्ति और विश्वास के माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन में सभी बाधाओं को पार कर सकता है और ईश्वर की कृपा प्राप्त कर सकता है।